स्वदेश में निर्मित हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) तेजस को 1 जुलाई 2016 को भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया. वायुसेना में दो तेजस विमानों को शामिल करके पहले स्क्वॉड्रन का गठन किया गया. दक्षिणी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन चीफ एयर मार्शल जसबीर वालिया की मौजूदगी में एयरक्राफ्ट सिस्टम टेस्टिंग एस्टेबलिशमेंट (एएसटीई) में एलसीए स्क्वाड्रन को शामिल किया गया.
इन विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा किया गया. पहले स्क्वॉड्रन का नाम फ्लाइंग डैगर्स-45 रखा गया. मार्च 2017 तक छह और तेजस मिलने की संभावना है जबकि दो वर्षों में 16 तेजस विमान वायुसेना में शामिल किये जाने की योजना बनाई गयी है.
तेजस ने अपनी निर्माण एवं विकास प्रक्रिया के दौरान ढाई हजार घंटे का सफर तय किया जिसमें इस विमान ने तीन हज़ार बार सफलतापूर्वक उड़ान भरी. तेजस ने पहली उड़ान 4 जनवरी 2001 को भरी थी इसके बाद अब तक यह कुल 3184 बार सफल उड़ान भर चुका है.
तेजस की विशेषताएं
• यह हल्का लड़ाकू विमान है जो 50 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है.
• इसका वजन 6560 किलोग्राम है तथा इसके पंखों की चौड़ाई 8.20 मीटर है. इसकी लम्बाई 3.20 मीटर और ऊंचाई 4.40 मीटर है.
• तेजस हवा से हवा में मार करने वाली डर्बी मिसाइलों और जमीन पर स्थित निशाने के लिए आधुनिक लेजर डेजिग्नेटर और टारगेटिंग पॉड्स से लैस है.
• इसमें सेंसर तरंग रडार लगाया गया है जो दुश्मन के विमान या जमीन से हवा में दागी गई मिसाइल के तेजस के पास आने की सूचना देता है.
• स्वदेश निर्मित तेजस भारतीय वायुसेना को पुराने पड़ चुके मिग-21 विमानों का विकल्पस उपलब्धव कराएगा.
• विमान का ढांचा कार्बन फाइबर से निर्मित है जो धातु की तुलना में कहीं ज्या दा हल्काब और मजबूत है.
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