भारत और भूटान के बीच क्षमता निर्माण, बैंचमार्किंग और बुनियादी ढांचा इंजीनियरिंग में द्विपक्षीय आदान-प्रदान के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग हेतु 20 अप्रैल 2016 को एक समझौता ज्ञापन पर सहमति बनीं.
उपरोक्त निर्णय के तहत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भारत और भूटान के बीच क्षमता निर्माण, बैंचमार्किंग और बुनियादी ढांचा इंजीनियरिंग में द्विपक्षीय आदान-प्रदान के क्षेत्र में तकनीकी सहयोग हेतु एक एमओयू पर हस्ताक्षर करने के लिए अपनी मंजूरी दी.
विदित हो कि भारत और भूटान के एक दसूरे के साथ लम्बे समय से कूटनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध चले आ रहे हैं. भारत-भूटान मैत्री संधि पर फरवरी 2007 में हस्ताक्षर होने से आपसी संबंध और मजबूत हुए. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जून 2014 में भूटान की राजकीय यात्रा की थी. इस यात्रा ने दोनों देशों के मध्य नियमित रूप से उच्चस्तरीय अदान-प्रदान की परंपरा को और मजबूत किया है. भारत के प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान दोनों पक्ष राष्ट्रीय हित से संबंधित क्षेत्रों में घनिष्ठ समन्वय और सहयोग जारी रखने पर सहमत हुए थे.
उपरोक्त समझौता ज्ञापन भारत-भूटान मैत्री संधि के अनुच्छेद 2,7 और 8 को आगे बढ़ाने के क्रम में है. इस समझौता ज्ञापन से शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं तकनीकी अनुसंधान और पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी जो अगस्त 2003 में स्थापित भारत-भूटान प्रतिष्ठान में निर्दिष्ट उद्देश्य भी हैं. दोनों देशों के मध्य पहले से ही जल-विद्युत सहयोग चल रहा है, जो आपसी सहयोग का अनुकरणीय नमूना है.
इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्यूडी) को पहाड़ी सड़क के निर्माण में अनुभव का लाभ प्राप्त होगा, जो जम्मू–कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर क्षेत्र के विभिन्न राज्यों के लिए सर्वोपरि महत्व का है.
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