नासा ने मार्च 2018 में ध्वनि की गति से चलने वाले सुपरसोनिक पैराशूट का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है. मंगल मिशन 2020 के दौरान इसी तरह के पैराशूट को इस्तेमाल किया जाना है.
द एडवांस सुपरसोनिक पैराशूट इंफ्लेशन रिसर्च एक्सपेरीमेंट (एस्पायर) नामक इस पैराशूट को नासा के वैलप्स केंद्र से एक रॉकेट से 31 मार्च 2018 को लांच किया गया.
उद्देश्य:
इसका मुख्य उद्देश्य लाल ग्रह सरीखी परिस्थितियों में पैराशूट का परीक्षण करना है जिससे कि अभियान के दौरान पैराशूट मंगल पर आसानी से प्रवेश और लैंड कर सके. यह पैराशूट अंतरिक्षयान की गति को धीमा करने में सहायता करेगा.
सुपरसोनिक मंगल लैंडिंग पैराशूट से संबंधित मुख्य तथ्य:
• यह पैराशूट लांच के बाद अटलांटिक महासागर में जा गिरा जहां से इसे नौका की मदद से निकाल लिया जाएगा.
• पिछले कुछ समय से अटलांटिक महासागर में मौसम खराब होने के कारण एस्पायर की लांचिंग में देरी हो रही थी.
• वैज्ञानिक अब महासागर से निकाले गए पैराशूट और कैमरे और अन्य उपकरणों में एकत्रित डाटा का अध्ययन करेंगे.
• नासा के वर्ष 2020 अभियान में मंगल पर भेजे जाने वाले रोवर के लिए पैराशूट तैयार किया जाएगा. छह पहियों वाले इस रोवर को नासा के क्यूरियोसिटी रोवर के आधार पर तैयार किया जाना है.
• लाल ग्रह पर जीवन की तलाश के साथ यह रोवर पृथ्वी पर लाने के लिए चट्टानों के नमूने भी जुटाएगा.
नासा के बारे में:
- नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार की शाखा है जो देश के सार्वजनिक अंतरिक्ष कार्यक्रमों व एरोनॉटिक्स व एरोस्पेस संशोधन के लिए उत्तरदायी है.
- नासा का गठन नैशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस अधिनियम के अंतर्गत 19 जुलाई 1948 में इसके पूर्वाधिकारी संस्था, नैशनल एडवाइज़री कमिटी फॉर एरोनॉटिक्स (एनसीए) के स्थान पर किया गया था. इस संस्था ने 01 अक्टूबर 1948 से कार्य करना शुरू किया.
- फरवरी 2006 से नासा का मुख्य लक्ष्य वाक्य ‘भविष्य में अंतरिक्ष अन्वेषण, वैज्ञानिक खोज और एरोनॉटिक्स संशोधन को बढ़ाना’ है.
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