नासा की दूरबीनों ने खोजे रंगीन बुलबुले में एक सुपरनोवा के अवशेष

Oct 21, 2021, 15:49 IST

यह सुपरनोवा अवशेष G344.7-0.1, पृथ्वी से 19,600 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है, यह एक सफेद बौने तारकीय विस्फोट का परिणाम है जो 3,000 और 6,000 साल पहले हुआ था.

NASA Telescopes Spot Remains of a Supernova in a Colourful Bubble
NASA Telescopes Spot Remains of a Supernova in a Colourful Bubble

नासा दूरबीनों ने हजारों साल पहले एक तारकीय विस्फोट के रंगीन विस्फोट को पकड़ लिया है, जिससे ऐसे ब्रह्मांडीय अवशेषों के विकास पर नई रोशनी डाली जा रही है.

नासा के चंद्र एक्स-रे वेधशाला/ ऑब्जर्वेटरी के एक बयान के अनुसार, यह तारकीय अवशेष - जिसे औपचारिक रूप से G344.7-0.1 के रूप में जाना जाता है और जो पृथ्वी से लगभग 19,600 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है, माना जाता है कि यह 3,000 से 6,000 वर्ष पुराना है.

स्पेस डॉट कॉम की एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि, नासा की चंद्र एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी और स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कोप के डाटा के अतिरिक्त, नेशनल साइंस फाउंडेशन के वेरी लार्ज एरे और ऑस्ट्रेलिया टेलीस्कोप कॉम्पैक्ट एरे के साथ, एक्स-रे, इंफ्रारेड और रेडियो वेवलेंथ में भी इस तारकीय अवशेष के दृश्य कैप्चर किए गए हैं.

सुपरनोवा अवशेष G344.7-0.1 के बारे में जरुरी जानकारी

सुपरनोवा G344.7-0.1 के एक नए दृश्य से यह पता चलता है कि, ये तारकीय मलबे प्रारंभिक तारकीय विस्फोट के बाद बाहर की ओर फैलते हैं, फिर आसपास की गैस के प्रतिरोध का सामना करते हैं. एक बयान के अनुसार, यह प्रतिरोध मलबे के फैलाव की गति को धीमा कर देता है जोकि  एक रिवर्स शॉक वेव बनाता है और फिर, यह वेव विस्फोट के केंद्र की ओर वापस आती है, और अपने रास्ते में आसपास के मलबे को गर्म करती है.

इसके अलावा, चंद्र एक्स-रे के डाटा से यह भी पता चला है कि, सुपरनोवा अवशेष में इसके मूल/ कोर  के पास लोहा होता है, जो सिलिकॉन युक्त चाप जैसी संरचनाओं से घिरा होता है.

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द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित इन आंकड़ों/ डाटा से यह पता चलता है कि, इस तारकीय विस्फोट के द्वारा इस तारे के लोहे वाले क्षेत्रों को हाल ही में रिवर्स शॉक वेव द्वारा गर्म किया गया था, जो टाइप IA सुपरनोवा मॉडल का समर्थन करते हैं जो इन तारकीय विस्फोटों के केंद्र में लोहे जैसे भारी तत्वों की भविष्यवाणी करते हैं.

सुपरनोवा विस्फोट प्रक्रिया के प्रभाव

चंद्र कर्मियों ने अपने एक बयान में यह लिखा कि, "यह प्रक्रिया किसी राजमार्ग पर ट्रैफिक जाम के समान है, जहां समय बीतने के साथ-साथ कारों की बढ़ती संख्या, दुर्घटनायें बढ़ने के कारण रुक जाएगी या फिर धीमी हो जाएगी, जिससे ट्रैफिक जाम कम होने लगेगा."

"यह रिवर्स शॉक मलबे को लाखों डिग्री तक गर्म करता है, जिससे यह एक्स-रे में चमकने लगता है."

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