नासा की हबल अंतरिक्ष दूरबीन ने अभी तक का सबसे सुदूरवर्ती तारा खोजा है. ब्रह्मांड के बीच में स्थित नीले रंग के इस विशाल तारे का नाम ‘इकारस’ है. यह तारा हमारे सूरज से दोगुना गर्म है.
यह तारा इतना दूर है कि इसकी रोशनी को पृथ्वी तक पहुंचने में नौ अरब साल लग गए. विश्व की सबसे बड़ी दूरबीन से भी यह तारा बहुत धुंधला दिखाई देगा.
हालांकि ग्रेवीटेशनल लेनसिंग नाम की प्रक्रिया होती है जो तारों की धुंधली चमक को तेज कर देती है जिससे खगोलविज्ञानी दूर के तारे को भी देख सकते हैं.
बर्केले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया मेंइस शोध का नेतृत्व करने वाले पैट्रिक केली ने कहा यह पहली बार है कि जब हमने एक विशाल और अपनी तरह का अकेला तारा देखा है.
पैट्रिक केली ने कहा कि आप वहां पर कई आकाशगंगाओं को देख सकते हैं लेकिन यह तारा उस तारे से कम से कम 100 गुना दूर स्थित है जिसका हम अध्ययन कर सकते हैं.
वैज्ञानिकों के मुताबिक यह तारा ब्लू सुपरगरेट कैटेगरी का है और धरती से इसकी दूरी करीब 9.3 अरब प्रकाशवर्ष है.
हबल अंतरिक्ष दूरबीन:
• हबल अंतरिक्ष दूरबीन वास्तव में एक खगोलीय दूरबीन है जो अंतरिक्ष में कृत्रिम उपग्रह के रूप में स्थित है.
• इसे 25 अप्रैल 1990 में अमेरिकी अंतरिक्ष यान डिस्कवरी की मदद से इसकी कक्षा में स्थापित किया गया था.
• हबल अंतरिक्ष दूरबीन को अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ' नासा ' ने यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी के सहयोग से तैयार किया था.
• अमेरिकी खगोलविज्ञानी एडविन पोंवेल हबल के नाम पर इसे ' हबल ' नाम दिया गया. यह नासा की प्रमुख वेधशालाओं में से एक है.
पृष्ठभूमि:
नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक हबल टेलीस्को.प की मदद से हाल ही में देखा गया यह तारा इकारस सच में इतना दूर है, जितनी दूरी का कोई भी तारा पहले कभी नहीं देखा गया. एक छल्लेकदार आकाशगंगा में स्थित इस तारे के अलावा इस दूरी का कोई और तारा अब तक नहीं देखा जा सका है. इकारस तारे को खोजने वाली इस स्पेोस रिसर्च टीम के मुताबिक इतनी दूरी पर मौजूद तारे हमारे ब्रह्मांड के शुरुआती सालों और उसके विकास में बारे में बहुत कुछ बताते हैं.
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