भारत के लिए नेशनल एटॉमिक टाइम स्केल का महत्व

Jan 8, 2021, 17:11 IST

अब भारत नेशनल एटॉमिक टाइम स्केल के साथ, एक नैनो सेकंड की सीमा के भीतर समय को मापने में आत्मनिर्भर हो गया है.

National Atomic Time Scale: what is atomic time, its significance; all you need to know
National Atomic Time Scale: what is atomic time, its significance; all you need to know

प्रधानमंत्री मोदी ने 04 दिसंबर, 2020 को नेशनल मेट्रोलॉजी कॉन्क्लेव में अपने वर्चुअल उद्घाटन संबोधन के दौरान, 'नेशनल एटॉमिक टाइम स्केल', जो 2.8 सेकंड की सटीकता के साथ इंडियन स्टैंडर्ड टाइम (IST) जनरेट करने में सक्षम होगा, राष्ट्र को समर्पित किया.

यह समय का पैमाना भारत को नैनो सेकंड की सीमा के भीतर समय को मापने में आत्मनिर्भर बनने में सक्षम करेगा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) जैसे संगठनों की भी मदद करेगा.

परमाणु समय के बारे में

परमाणु समय (एटॉमिक टाइम) हरेक सेकंड की वास्तविक लंबाई को मापता है. यह परमाणु समय परमाणु घड़ियों द्वारा बनाया गया है जोकि पहले उपलब्ध खगोलीय साधनों द्वारा बताये गये समय को अधिक सटीक रूप से प्रस्तुत करने में सक्षम हैं. इन घड़ियों के 50 मिलियन से अधिक वर्षों में 1 सेकंड से भी कम समय में बंद होने की भविष्यवाणी की जाती है.

भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है नेशनल एटॉमिक टाइम स्केल?

इसके साथ ही, भारत अब एक नैनो सेकंड की सीमा के भीतर समय को मापने में आत्मनिर्भर हो गया है, क्योंकि 2.8 नैनोसेकंड की सटीकता स्तर प्राप्त करना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है.

नेशनल एटॉमिक टाइम स्केल के उद्घाटन के साथ, भारतीय मानक समय अब ​​अंतर्राष्ट्रीय मानक समय के साथ कम से कम 3 नैनोसेकंड के सटीकता स्तर के साथ मेल खाएगा.

यह एटॉमिक टाइम स्केल किस तरह से मददगार साबित होगा?

नेशनल एटॉमिक टाइम स्केल जो प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भारत के नागरिकों को समर्पित किया गया था, इसरो जैसे उन सभी संगठनों के लिए बड़ी मदद के तौर पर साबित होगा, जो अत्याधुनिक तकनीक के साथ काम कर रहे हैं.

इसके अलावा, रेलवे, बैंकिंग, टेलीकॉम, स्वास्थ्य, रक्षा, आपदा प्रबंधन, मौसम का पूर्वानुमान सहित कई अन्य क्षेत्रों और संगठनों से संबंधित आधुनिक तकनीक भी एटॉमिक टाइम स्केल से लाभान्वित होगी.

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु समय के बारे में

यह एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय समय पैमाना है जो 300 से अधिक परमाणु घड़ियों के भारित औसत को ले कर निर्धारित किया जाता है जो पूरी दुनिया में 60 से अधिक समय की प्रयोगशालाओं में स्थापित की गई हैं.

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