Bharatiya Grahak Diwas 2021: हर साल 24 दिसंबर को भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस (National Consumer Rights Day) मनाया जाता है. यह दिन लोगों को संरक्षक आंदोलन के महत्व को उजागर करने का एक मौका प्रदान करता है. यह दिवस उपभोक्ता आंदोलन को अवसर प्रदान करता है और उसके महत्व को उजागर करता है. इसके साथ ही हर उपभोक्ता को अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों के प्रति जागरुक करने की प्रेरणा देता है.
इस दिन लोगों को उपभोक्ता आंदोलन के महत्व को रेखांकित करने का अवसर मिलता है, साथ ही प्रत्येक उपभोक्ता को उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में अधिक जागरूक करने की आवश्यकता भी रेखांकित होती है. यह दिन लोगों को संरक्षक आंदोलन के महत्व को उजागर करने का एक मौका प्रदान करता है.
राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस का उद्देश्य
उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम का उद्देश्य त्रुटिपूर्ण वस्तुओं, सेवाओं में कमी तथा अनुचित व्यापार प्रचलनों जैसे विभिन्न प्रकार के शोषणों के खिलाफ उपभोक्ताओं को प्रभावी सुरक्षा उपलब्ध कराना है. ये दिन इसलिए मनाया जाता है ताकि उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा सके और इसके साथ ही अगर वे धोखाधड़ी, कालाबाजारी आदि का शिकार होते हैं तो वे इसकी शिकायत कर सकें.
National Consumer Day 2021 की थीम
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस लगातार साल 2000 से मनाया जा रहा है. इस बार राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस की थीम 'प्लास्टिक प्रदूषण से निपटना' है. हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक का कचरा विश्वभर के लिए एक बड़ी समस्या बनकर सामने आया है. वहीं इस समस्या से निपटने के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं, यह भी उन्हें प्रयासों का एक हिस्सा है.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986: एक नजर मेंयह अधिनियम उन सभी उपभोक्ता अधिकारों को सुरक्षित करता है जिनको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया गया. इस अधिनियम के अनुसार उपभोक्ता अधिकारों को बढ़ावा देने और संरक्षण देने के लिए केंद्रीय, राज्य एवं जिला स्तरों पर उपभोक्ता संरक्षण परिषद स्थापित किए गए है. सुरक्षा का अधिकार: जीवन के लिए नुकसानदेह/हानिकारक वस्तुाओं और सेवाओं के खिलाफ संरक्षण प्रदान करना. सूचना का अधिकार: उपभोक्ता द्वारा अदा की गई कीमतों /सेवाओं की गुणवत्ता, मात्रा, वजन और कीमतों की जानकारी ताकि गलत व्यापारिक प्रक्रियाओं द्वारा किसी उपभोक्ता को ठगा नहीं जा सके. चुनने का अधिकार: प्रतिस्पर्धी कीमतों पर वस्तुओं और सेवाओं के अनेक प्रकारों तक यथासंभव पहुंच को निश्चित करना. सुने जाने का अधिकार: उपयुक्त फोरम पर सुने जाने का अधिकार और यह आश्वासन कि विषय पर उचित ध्यान दिया जाएगा. उपचार का अधिकार: गलत या प्रतिबंधित कारोबारी गतिविधियों/शोषण के खिलाफ कानूनी उपचार की मांग करना. उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार: उपभोक्ता शिक्षा तक पहुंच. |
राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस क्यों मनाया जाता है?
भारत में 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि उपभोक्ताओं को शोषण से बचाने के लिए 24 दिसंबर 1986 को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986 लागू किया गया था. इसके बाद इस अधिनियम में 1991 तथा 1993 में संशोधन किये गए.
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम को अधिकाधिक कार्यरत और प्रयोजनपूर्ण बनाने के लिए दिसंबर 2002 में एक व्यापक संशोधन लाया गया और 15 मार्च 2003 से लागू किया गया. परिणामस्वारूप उपभोक्ता संरक्षण नियम, 1987 में भी संशोधन किया गया और 5 मार्च 2004 को अधिसूचित किया गया.
यह दिवस पहली बार कब मनाया गया?
भारत में यह दिवस पहली बार वर्ष 2000 में मनाया गया. यह दिवस भारत में प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है. भारत सरकार ने उपभोक्ता के हितों को रक्षा करने तथा उनके अधिकारों को बढावा देने के उद्देश्य से उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम कानून बनाया था.
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