संसद ने 15 मार्च 2017 को राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 को पारित किया. इस नीति का मुख्य उद्देश्य भारत में सबके लिए अच्छे स्वास्थ्य तथा कल्याण के लक्ष्य को साकार करना है. इस नीति के ऐच्छिक ध्येय को हासिल करने हेतु इस नीति को प्रोत्साहन तथा प्रतिबंधक स्वास्थ्य सेवा को ध्यान में रख कर सूत्रबद्ध किया गया है. यह नीति अच्छे स्वास्थ्य तथा स्वास्थ्य सेवाओ को भारत में सार्वभौमिक पहुँच तक पहुचाने की आकांक्षा करती है.
पृष्ठभूमि
यह राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति हितधारको से विमर्श करके सूत्रबद्ध की गई है. इस विमर्श के आधार पर ही भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति का प्रारूप 30 दिसम्बर , 2014 को तैयार किया.
इसके बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के प्रारूप को फिर से हितधारको तथा राज्य सरकारो के पास सुझावों के लिए भेज के दुरुस्त किया गया. इसके बाद 27 फ़रवरी 2016 को इस प्रारूप को स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण की केन्द्रीय समिति का अनुमोदन मिला.
भारत में आखिरी सवास्थ्य नीति 2002 में सूत्रबद्ध की गई थी. इसके बाद भारत में कई सामाजिक- आर्थिक तथा महामारियों से जुड़े बदलाव हुए. इन बदलाओ ने नयी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के सूत्रबद्धीकरण को आवश्यक कर दिया.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के मुख्य बिंदु
1.राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 का मुख्य उद्देश्य सरकार की भूमिका स्वास्थ्य प्रणाली के सभी विभागों जैसे संगठन, निवेश, तथा स्वास्थ्य सेवाओं का वित्तपोषण, अच्छे स्वास्थ्य का प्रोत्साहन, तकनीकी की मदद से बीमारियों के रोकथाम, अच्छे स्वास्थ्य के लिए उचित शिक्ष्या की व्यवस्था, चिकित्सकीय बहुलवाद को प्रोत्साहन, तथा स्वास्थ्य संबंधी वित्तीय सुरक्ष्या रणनीतियो का विनियमन करना है.
2. नयी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति देश भर के लोक स्वास्थ्य संस्थानों के पुनरभिविन्यास तथा सुदृढीकरण पर विशेष ध्यान देती है ताकि रोग निदान, मुफ्त दवाईया, तथा जरूरी स्वास्थ्य सेवाए सार्वभौमिक रूप से मुहैय्या करवाई जा सके.
3. इस नीति का उद्देश्य देश में सभी को व्यापक तरीके से अच्छे स्वास्थ्य की ओर अग्रसर करना है.
4. यह स्वास्थ्य नीति निजी संकाय के साथ मिलकर समस्याओं तथा उनके समाधानों की रणनीति बनाने पर जोर देती है. इसका उद्देश्य उभरती बीमारियों की रोकथाम के लिए निजी संकाय के साथ निवेश करने के साथ साथ भारत में ही दवाई तथा अन्य उपकरण बनाना है.
5. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 निजी संकाय के साथ मिलकर राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने की हिमायत करती है. यह निजी संकाय के साथ मिलकर क्षमता निर्माण,
सामरिक खरीद, जागरूकता को बढ़ावा, कुशलता विकास प्रोग्राम को बढ़ावा, आपदा प्रबंधन,तथा सभी समुदायो के लिए सतत तंत्र की व्यवस्था करने पर जोर देती है. यह नीति निजी क्षेत्र को सरकार द्वारा वित्तीय सहायता देने का भी जिक्र करती है.
6. वीतीय संरक्षण तथा द्वितीयक तथा तृतीयक स्वास्थ्य निकायों तक सभी की पहुच में पहुचाने हेतु, यह नीति, मुफ्त रोग निदान, मुफ्त दवाई, तथा मुफ्त आपातकालीन सेवा सभी सरकारी अस्पतालों तक मुहैय्या करने का प्रस्ताव रखती है.
7. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017, सार्वजानिक स्वास्थ्य व्यय सकल घरेलु उत्पाद का 2.5% एक निर्धारित समय सीमा तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखती है. यह नीति यह परिकल्पना करती है कि स्वास्थ्य तथा कल्याण केन्द्रों के द्वारा प्राथमिक केन्द्रों में व्यापक सेवा देने हेतु वित्तीय पैकेज को बढ़ावा देने की यही नीति परिकल्पना करती है. यह नीति सारे श्रोतो का दो तिहाई भाग प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों को देने की अनुशंसा करती है. यह नीति यह परिकल्पना करती है कि जिला स्तर पर ही माध्यमिक देखभाल की वो सारी सुविधाए मुहैय्या करवाई जाए जो एक एक मेडिकल कॉलेज अस्पताल देता है.
8. राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 विशिष्ट मात्रात्मक लक्ष्य आवंटित करती है जो रोगों के फैलने वाली घटनाओं पे नियंत्रण करती है. इसके अलावा यह नीति स्वास्थ्य तथा जांच तंत्र को मजबूत करने के साथ साथ रोगों का पंजीकरण करने पर जोर देती है.
9. यह नीति अग्रकय देखभाल को बच्चो तथा किशोरों में सर्वोच्च स्तर तक पहुचाने की पर्तिबद्धता दिखाती है. यह नीति विद्यालयी स्वास्थ्य प्रोग्राम द्वारा स्वस्थ तथा स्वच्छता पर ध्यान देने पर जोर देती है.
10. यह नीति आयर्वेद को आयुष योजना की मदद से मुख्यधारा में लाने की परिकपना करती है. यह नीति विद्यालयों तथा दफ्तरों में अच्छे स्वास्थ्य के लिए योग को शुरू करने की सिफारिश करती है.
11. यह नीति स्वास्थ्य विभाग में डिजिटल उपकरणों के उपयोग पर बल डालती है. तथा राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य संस्था (NDHA को इसके विनियमन के लिए सिफारिश करती है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में त्रुटिया
भारत की केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को पारित किया परन्तु इसमें इसके 2015 के प्रारंभिक प्रारूप की घोषणाओं से कुछ कमियां है. ये कमियाँ निम्नलिखित है.
1. स्वास्थ्य का अधिकार
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 जो आश्वासन आधारित दृष्टिकोण की बात करती है, 2015 के अपने प्रारंभिक प्रारूप में प्रस्तावित बदलाव को नजर अंदाज करती है. इस नीति के प्रारूप ने स्वास्थ्य को एक अधिकार बनाने का प्रस्ताव रखा था.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह कहा है कि स्वास्थ्य का अधिकार इसीलिए हटा दिया क्योकि अभी देश में स्वास्थ्य की आधारिक संरचना इतनी क्षमता नहीं है कि स्वास्थ्य को एक अधिकार बना दिया जाये.अगर ऐसा हुआ तो नागरिक सरकार के खिलाफ, उनका अधिकार पूरा न कर पाने की वजेह से, अदालतों में जायेंगे. दवाई , रोग निदान, तथा अन्य स्वास्थ्य सेवाए बहुत राज्यों में पहले से ही मुफ्त है.
2. पुराने लक्ष्यों का दोहराव
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 ये कहती है कि 2025 तक स्वास्थ्य पर सकल घरेलू उत्पाद का 2.5% खर्च होना चाहिए. लेकिन HLEG की 2011 की रिपोर्ट तथा बारहवे पञ्च वर्षीय प्लान के दस्तावेज ने यही प्रस्ताव रखा था. सरकार को स्वास्थ्य पर सरकारी व्यय बारहवे पंच वर्षीय प्लान के अंत तक सकल घरेलू उत्पाद का 2.5 प्रतिशत कर लेना चाहिए तथा इसे 2022 तक सकल घरेलू उत्पाद का 3 प्रतिशत कर देना चाहिए.
3. स्वास्थ्य शासन पर चुप्पी
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के अनुसार राष्ट्रीय स्वास्थ्य मानक संगठन सरकारी तथा निजी स्वास्थ्य संस्थानों के मापदंड निर्धारित करेगा तथा एक सशक्त न्यायाधिकरण इनके शिकायतों की सुनवाई करेगा. परन्तु यह नीति स्वास्थ्य से जुड़े सबसे महत्वपूर्ण बिन्दुओ में से एक बिंदु कि क्या स्वास्थ्य को राज्य सूची में, शिक्षा की समवर्ती सूची में, जगह मिलनी चाहिए या नहीं इस बात को नजरअंदाज करती है.
स्वास्थ्य का विनिमयन का मुख्य कार्यभार राज्य सरकारों द्वारा होता है. केंद्र सरकार इस मामले में केवल नए नियम कानून बना सकती है. पर इन्हें लागू करना राज्य सरकार का काम होता है. नैदानिक स्थापन अधिनियम 2010 अभी केवल चार राज्यों द्वारा लागू किया गया है.बाकी राज्यों ने इसे या तो नजरअंदाज किया है या अभी तक लागू नहीं किआ.
तो NHSO जैसे संस्था के लिए बिना इस अधिनयम के तथा राज्यों के समवर्ती सूची में स्वास्थ्य के बिना कारगर सिद्ध हो पाना लगभग असंभव है.
उपसंहार
कुछ कमियों के बावजूद राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 भारत में स्वास्थ्य प्रोग्राम के लिए एक मंच स्थापित करेगी. अगर इसके द्वारा प्रस्तावित बिन्दुओ का सरकार द्वारा ईमानदारी से परिपालन किया जाता है तो यह भारत के सभी नागरिको के लिए फायदेजनक होगी.
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