नेपाल सरकार ने यह घोषणा की है कि, उसने भारत के सतलुज जल विद्युत निगम - SJVN को 679 मेगावाट की लोअर अरुण हाइड्रो परियोजना के निर्माण का ठेका दिया है.
इनवेस्टमेंट बोर्ड ऑफ़ नेपाल द्वारा जारी एक रिलीज़ के अनुसार, 29 जनवरी, 2021 को आईबीएन की एक बैठक ने BOOT मॉडल - बिल्ड, ओन, ऑपरेट और ट्रांसफर के तहत एक भारतीय कंपनी को अपना अनुबंध देने का निर्णय लिया है.
इस रिलीज में यह कहा गया है कि, नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में सूचीबद्ध कंपनियों के आकलन के आधार पर डेवलपर कंपनी के संदर्भ में फैसला किया गया जो अंतर्राष्ट्रीय बोली प्रक्रिया के माध्यम से चुनी गई थी.
मुख्य विशेषताएं
• भारत ने अरुण III में निर्धारित सभी शर्तों के अनुसार लोअर अरुण निर्माण का प्रस्ताव रखा था.
• अरुण III समझौते के अनुसार, सरकार को 20 वर्षों की अवधि में 330 बिलियन की रॉयल्टी प्राप्त होगी.
• यह परियोजना 21.9% उत्पन्न ऊर्जा भी नेपाल को निशुल्क प्रदान करेगी.
• लोअर अरुण के लिए परियोजना लागत 100 खरब रुपये से अधिक आंकी गई है.
• अगर इस जलविद्युत परियोजना को भंडारण क्षमता सहित एक परियोजना के रूप में विकसित किया जाएगा तो इसकी स्थापित क्षमता को 1,000 मेगावाट तक बढ़ाया जा सकता है.
नेपाल के अरुण हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के बारे में
• प्रस्तावित हाइड्रो प्रोजेक्ट में 679 मेगावाट बिजली की अनुमानित क्षमता है. यह प्रांत 1 के भोजपुर और संखुवासभा जिलों में स्थित होगा.
• यह परियोजना प्रस्तावित सप्त कोशी उच्च बांध परियोजना के ऊपर की तरफ़ और अरुण - 3 SHEP के नीचे की तरफ़ स्थित है.
• इस हाइड्रो प्रोजेक्ट का बांध स्थल लगभग 34 किमी ऊपर की ओर स्थित होगा, जबकि बिजलीघर साइट ट्यूमलिंगटोर हवाई अड्डे से 7 किमी ऊपर की तरफ़ स्थित होगा.
भारत को नेपाल का हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट कैसे मिला?
चीनी कंपनी ने इस असंतोष के कारण परियोजना से पीछे हटने का निर्णय लिया कि, नेपाल सरकार ने मार्च, 2019 में आयोजित निवेश शिखर सम्मेलन में इस परियोजना का प्रदर्शन किया था.
लेकिन, भारत सरकार ने नेपाल के तत्कालीन ऊर्जा, जल संसाधन और सिंचाई मंत्री, बर्धमान पुन की भारत यात्रा के दौरान इस जलविद्युत परियोजना में अपनी रुचि दिखाई थी.
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