न्यूजीलैंड ने 2 दिसंबर, 2020 को अपने देश में जलवायु आपातकाल घोषित किया है और वादा किया है कि उसका सार्वजनिक क्षेत्र वर्ष 2025 तक कार्बन तटस्थ/ न्यूट्रल हो जाएगा.
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने यह कहा कि, जलवायु आपातकाल की घोषणा एक अंतर- सरकारी पैनल के जलवायु परिवर्तन के निष्कर्षों पर आधारित थी, जिसमें कहा गया था कि, ग्लोबल वार्मिंग में 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक वृद्धि से बचने के लिए वर्ष 2010 के स्तर से वर्ष 2023 तक उत्सर्जन में 45 प्रतिशत की कटौती की आवश्यकता होगी और वर्ष 2050 तक उत्सर्जन स्तर शून्य तक पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया जाएगा.
मुख्य विशेषताएं
- इस जलवायु आपातकाल की घोषणा में "विनाशकारी प्रभाव" उल्लिखित है जोकि अस्थिर जलवायु न्यूजीलैंड पर डालेगी. इसके साथ ही "प्रजातियों की गिरावट में खतरनाक प्रवृत्ति" भी देखी जा सकती है.
- इस घोषणा के तहत, न्यूजीलैंड सरकार ने वादा किया है कि, उसका सार्वजनिक क्षेत्र वर्ष 2025 तक कार्बन तटस्थता प्राप्त करेगा.
- देश में सरकारी एजेंसियों को अब उत्सर्जन को मापना और रिपोर्ट करना होगा और जिसकी कटौती नहीं की जा सकती, उसे वर्ष 2025 तक बदल दिया जाए.
- कोयला बॉयलरों के प्रतिस्थापन के लिए वित्त व्यवस्था करने और इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड वाहनों को खरीदने में मदद करने के लिए न्यूजीलैंड में 200 मिलियन डॉलर के फंड से इस कार्यक्रम का समर्थन किया जाएगा.
- इसके साथ, न्यूजीलैंड जापान, कनाडा, फ्रांस और ब्रिटेन सहित 32 अन्य देशों में शामिल हो गया है जिन्होंने अपने देश में जलवायु आपातकाल घोषित किया है.
कृषि है जलवायु प्रदूषण का सबसे बड़ा स्रोत
वैश्विक गैर-सरकारी पर्यावरण निकाय, ग्रीनपीस ने इस घोषणा का स्वागत किया है, लेकिन नीति और कार्रवाई के माध्यम से इस घोषणा का पालन करने के लिए सरकार को चुनौती दी है, क्योंकि इसका मतलब है कि न्यूजीलैंड के जलवायु प्रदूषण के सबसे बड़े स्रोत: कृषि से निपटना. न्यूजीलैंड के ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग आधा हिस्सा कृषि, मुख्य रूप से मीथेन से उत्पन्न होता है.
पृष्ठभूमि
न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न अक्टूबर में सत्ता में दुबारा आई हैं. अपने पहले शासनकाल के दौरान, आर्डेन ने एक ज़ीरो कार्बन विधेयक पारित किया था, जो खेती के लिए छूट के साथ वर्ष, 2050 तक दुनिया के सबसे महत्वाकांक्षी ढांचे को शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के लिए नियत करता है और नए ऑफशोर ऑयल और गैस एक्सप्लोरेशन पर प्रतिबंध लगाता है.
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