राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) ने पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता दिखाते हुए अमरनाथ गुफा मंदिर को "मौन क्षेत्र" घोषित कर दिया और इसके प्रवेश बिंदु के आगे किसी भी मंत्रोच्चार या घंटी बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्रता कुमार की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा कि अमरनाथ श्राइन बोर्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तीर्थयात्रियों को उचित ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध कराई गई ताकि वे स्पष्ट दर्शन से वंचित न हों और क्षेत्र का पारिस्थितिकी बनाए रखा जाए.
अमरनाथ मंदिर जम्मू एवं कश्मीर में अवस्थित है. यहाँ तीर्थयात्रा के दौरान लाखों तीर्थयात्री दर्शन के लिए आते हैं.
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एनजीटी के तर्क
एनजीटी का कहना है कि अमरनाथ गुफा के आसपास के इलाके को "मौन क्षेत्र" घोषित करने से हिमस्खलन को रोकने में मदद मिलेगी और इसकी प्राकृतिक सुन्दरता यथागत रह सकेगी.
एनजीटी का ये भी कहना है कि इससे ध्वनि-प्रदुषण पर रोक लगेगी और पारिस्थितिकी का संतुलन बना रहेगा.
एनजीटी आदेश के मुख्य बिंदु
किसी भी तीर्थ यात्री को पवित्र गुफा तक जाने वाली सीढ़ियों से कुछ भी ले जाने की इजाजत नहीं दी जाएगी और हर किसी को प्रवेश बिंदु पर ठीक से तलाशी ली जाएगी.
ग्रीन पैनल ने शिवलिंग के सामने लोहे की ग्रिल्स को हटाने का भी आदेश दिया ताकि भक्तों को इसे बेहतर तरीके से देखा जा सके और कहा कि पवित्र संरचना के पास कोई मंत्रोच्चार नहीं होना चाहिए.
इससे अंतिम चेकपॉइंट से पहले, मोबाइल फोन सहित निजी सामानों को ले जाने पर भी रोक दिया गया है और मंदिर को आदेश दिया कि ऐसी जगह बनाये जहां तीर्थयात्री अपने क़ीमती सामान रख सके.
ग्रीन पैनल ने पर्यावरण और वन मंत्रालय (एमओईएफ) के एक अतिरिक्त सचिव के नेतृत्व में विशेषज्ञों की समिति को भी तीन सप्ताह के भीतर तीर्थयात्रियों को सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक कार्य योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया.
बेंच ने विशेषज्ञ समिति को यह भी निर्देश दिया कि इस क्षेत्र में स्वच्छता बनाए रखने और "मौन क्षेत्र" घोषित करने की दिशा में रिपोर्ट दें.
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पृष्ठभूमि
नवंबर में, एनजीटी ने अमरनाथ श्राइन बोर्ड को अमरनाथ के लिए जाने वाली तीर्थयात्रियों को उचित आधारभूत सुविधाएं प्रदान नहीं करने के प्रति नाराजगी जाहिर की थी, और यह कहा था कि लोगों को दर्शन से वंचित नहीं किया जा सकता है.
एनजीटी ने 2012 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुपालन नहीं होने पर बोर्ड से पुछा कि इन विगत वर्षों में क्या कदम उठाये गए हैं.
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