एनजीटी ने सीपीसीबी को ध्वनि प्रदूषण मानचित्र तैयार करने का निर्देश दिया

Mar 18, 2019, 17:14 IST

हरित अधिकरण के अनुसार, ध्वनि प्रदूषण नियम लागू नहीं होने से नागरिकों, विशेष तौर पर बच्चों एवं वरिष्ठ नागरिकों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है. हरित अधिकरण ने कहा कि इससे नींद, आराम, अध्ययन और अन्य वैध गतिविधियां भी प्रभावित होती हैं.

NGT directs CPCB to prepare noise pollution maps
NGT directs CPCB to prepare noise pollution maps

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को ध्वनि प्रदूषण मानचित्र तथा पूरे देश में इस मुद्दे को सुलझाने हेतु उपचारात्मक कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है.

हरित अधिकरण के अनुसार, ध्वनि प्रदूषण नियम लागू नहीं होने से नागरिकों, विशेष तौर पर बच्चों एवं वरिष्ठ नागरिकों का स्वास्थ्य प्रभावित होता है. हरित अधिकरण ने कहा कि इससे नींद, आराम, अध्ययन और अन्य वैध गतिविधियां भी प्रभावित होती हैं.

एनजीटी द्वारा दिशा-निर्देश:

•   एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल के नेतृत्व वाली एक पीठ ने सीपीसीबी को मानचित्र तैयार करने, ध्वनि प्रदूषण स्थलों की पहचान करने और तीन महीने में उपचारात्मक कार्ययोजना प्रस्तावित करने का निर्देश दिया.

•   एनजीटी ने कहा की राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पुलिस के साथ मिलकर ध्वनि स्तर की निगरानी कर सकते हैं और उपचारात्मक कार्रवाई कर सकते हैं.

•   सीपीसीबी ने ध्वनि निगरानी तंत्र स्थापित किया है जो सात शहरों में लगातार आधार पर कार्य कर रहा है. एनजीटी ने बोर्ड से कहा कि वे ऐसा तंत्र उन सभी शहरों में स्थापित करने पर विचार करे जहां ध्वनि का स्तर अनुमेय सीमा से अधिक है.

•   अधिकरण ने कहा की सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस विभाग तीन महीने के भीतर ध्वनि निगरानी उपकरणों प्राप्त कर सकते हैं.

•   एनजीटी ने कहा कि पुलिस ऐसे उपकरणों के इस्तेमाल के बारे में अपने कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर सकती है और उल्लंघनकर्ताओं के विरुद्ध उचित कार्रवाई करने के लिए एक मजबूत मसौदा विकसित कर सकती है.

एनजीटी के बारे में:

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण अधिनियम, 2010 द्वारा भारत में एक राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) की स्थापना की गई.

इस अधिनियम के तहत पर्यावरण से संबंधित कानूनी अधिकारों के प्रवर्तन एवं व्यक्तियों और संपत्ति के नुकसान के लिए सहायता और क्षतिपूर्ति देने या उससे संबंधित या उससे जुड़े मामलों सहित, पर्यावरण संरक्षण एवं वनों तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों के प्रभावी और त्वरित निपटारे हेतु राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना की गयी.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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