नीति आयोग ने महिला बाल विकास मंत्रालय द्वारा तैयार पोषाहार नीति को मंजूरी दी

Sep 11, 2018, 10:06 IST

नीति आयोग द्वारा दी गई यह मंजूरी विभाग की मंत्री मेनका गांधी एवं महिला बाल विकास मंत्रालय द्वारा दिए गये सुझावों पर विचार करने के बाद दी गई है.

NITI Aayog approved supplementary nutrition guidelines prepared by the Ministry for WCD
NITI Aayog approved supplementary nutrition guidelines prepared by the Ministry for WCD

नीति आयोग ने 09 सितंबर 2018 को महिला और बाल विकास मंत्रालय की बनाई हुई पोषाहार नीति को मंजूरी प्रदान की है. यह मंजूरी विभाग की मंत्री मेनका गांधी एवं महिला बाल विकास मंत्रालय द्वारा दिए गये सुझावों पर विचार करने के बाद दी गई है.

क्या थे सुझाव?

•    महिला और बाल विकास मंत्रालय की एकीकृत बाल विकास योजना के तहत देश में 14 लाख आंगनवाड़ियों से 10 करोड़ बच्चों को गर्म पका हुआ भोजन और घर ले जाने के लिए राशन देने की योजना थी.

•    मेनका गांधी का सुझाव था कि घर ले जाने वाला भोजन उन स्वयं सहायता समूह से प्राप्त किया जाए जिनके पास पर्याप्त संख्या में निर्माण की सुविधा हो या फिर सरकारी या निजी संस्थाओं से इसे लिया जाए.

•    रिपोर्ट के मुताबिक, विभाग की मंत्री मेनका गांधी, गर्म भोजन परोसने के भी खिलाफ थीं. वह चाहती थीं कि 'रेडी टू ईट' पैकेटबंद खाना लाभार्थी बच्चों को बांट दिया जाए.

•    महिला और बाल विकास मंत्रालय के अधिकारी इस पक्ष में थे कि बच्चों को दिए जाने वाले खाद्य पदार्थ सिर्फ स्वयं सहायता समूह द्वारा स्थानीय तौर पर उपलब्ध सामग्रियों से निर्मित किया जाए.

•    मेनका गांधी ने नीति निर्माताओं से कहा था कि हमें सिर्फ खाना देने के बारे में सोचने की जगह पोषण देने के बारे में सोचना चाहिये, जबकि महिला और बाल विकास मंत्रालय ने नीति आयोग को सुझाव दिया था कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत खाद्य सुरक्षा का अर्थ ज़रूरतमंदों तक तय मात्रा में खाद्य अनाज और भोजन पहुँचाना है.

पृष्ठभूमि

जून 2018 में महिला और बाल विकास विभाग के सचिव आर.के. श्रीवास्तव ने प्रधानमंत्री कार्यालय को नियम तय करने में हो रही देरी पर पत्र लिखा. उन्होंने इस मामले में पीएमओ से दखल की मांग करते हुए शीघ्र निर्णय लेने और अधिकारियों की स्थिति को वापस लाने के लिए कहा. पीएमओ ने इसके बाद सुझाव दिया कि ये मामला कैबिनेट सचिवालय और नीति आयोग से ही निस्तारित होगा. इसके बाद नीति आयोग के उप-चेयरमैन राजीव कुमार ने दिशा निर्देशों को मंजूर कर दिया.



एकीकृत बाल विकास योजना (ICDS)

•    यह योजना वर्ष 1975 में 6 साल से कम आयु के बच्चों के सर्वांगीण विकास (स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा) के लिये  एक पहल के रूप में शुरू की गई थी.

•    इसका उद्देश्य शिशु मृत्यु दर, बाल कुपोषण को कम करना और पूर्व-विद्यालय शिक्षा प्रदान करना है.

•    आईसीडीएस  योजना की निगरानी संबंधी समग्र ज़िम्मेदारी महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MWCD) की है.

•    आईसीडीएस योजना के तहत 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों और गर्भवती या स्तनपान कराने वाली माँ की पहुँच चार मुख्य सेवाओं जैसे- प्रतिरक्षा,पूरक पोषण, स्वास्थ्य जाँच, रेफ़रल सेवाएँ  तक सुनिश्चित करना है.

•    इसके अतिरिक्त आईसीडीएस के तहत 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों की पहुँच पूर्व-स्कूल गैर-औपचारिक शिक्षा तक सुनिश्चित कराना.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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