नीति आयोग ने 27 अप्रैल 2016 को राज्यों और शहरी स्थानीय निकायों के क्षमता सृजन के लिए शहरी प्रबंधन कार्यक्रम (Urban Management program-UMP) का शुभारंभ किया.
उपरोक्त कार्यक्रम का आयोजन नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में किया गया. इस समारोह की अध्यक्षता नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. अरविंद पनगढि़या ने की. नीति आयोग के अनुसार, इस कार्यक्रम की रूपरेखा नीति आयोग एवं सिंगापुर सहयोग उद्यम (एससीई) के बीच हस्ताक्षरित सहमति पत्र के प्लेटफॉर्म के तहत नीति आयोग, टेमासेक फाउंडेशन और सिंगापुर सहयोग उद्यम (एससीई) द्वारा तैयार की गई, ताकि शहरी समस्याओं के कारगर समाधान ढूंढ़ने के लिए राज्य सरकारों एवं शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के क्षमता सृजन हेतु शहरी क्षेत्र में सिंगापुर को हासिल विशेषज्ञता से लाभ उठाया जा सके.
पृष्ठभूमि:
शहरीकरण भारत को उच्च आर्थिक विकास दर अर्जित करने का एक अवसर प्रदान करता है क्योंकि शहर संकुलन की अर्थव्यवस्थाएं मुहैया कराते हैं. भारत में शहरीकरण स्तर, जो 2011 की जनगणना में लगभग 31 प्रतिशत था, के बढ़ने और 2030 तक 40 प्रतिशत तक पहुंचने का अनुमान है. प्रतिशत के लिहाज से शहरीकरण स्तर मामूली प्रतीत हो सकता है लेकिन समग्र संख्या के लिहाज से यह बहुत बड़ी संचार है. भारत में शहरी जनसंख्या अमेरीका या ब्राजील की पूरी आबादी से अधिक है. शहरी अर्थव्यवस्था ने भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है और यह सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग 60 प्रतिशत का योगदान दे रही है.
विदित हो कि तेजी से बढ़ता शहरीकरण देश में नागरिकों के लिए पानी, स्वच्छता एवं शहरी क्षेत्रों में गतिशीलता जैसी मूलभूत सेवा के प्रावधान पर दबाव बढ़ा रहा है. ढांचागत सुविधाओं की कमी लागत में वृद्धि कर रही है तथा इससे शहरों में उत्पादकता में कमी हो रही है. शहरों की बढ़ती संख्या के साथ शहरी केंद्रों में प्रशासन भी विशेष रूप से एक बड़ी चुनौती के रूप में उभर रहा है. इसके अतिरिक्त प्राकृतिक संसाधनों, शहरों की संवहनीयता पर बढ़ता दबाव भी एक बड़ी चिंता के रूप में उभर रहा है. शहरी अपशिष्ट के परिशोधन एवं वैज्ञानिक निपटान में कमी का परिणाम एक ऐसी स्थिति के रूप में सामने आ रहा है जहां भारतीय नगर जिस स्तर पर इन संसाधनों का उपयोग कर रहे हैं, उसकी तुलना में कहीं अधिक तेजी से जल निकायों को प्रदूषित कर रहे हैं और मिट्टी तथा पर्यावरण को खराब कर रहे हैं. इसलिए भारतीय नगरों की पर्यावरण संवहनीयता कुशल शहरीकरण को दिशा-निर्देश देने के लिए बेहद महत्वपूर्ण बनती जा रही है.
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