नीति आयोग ने संयुक्त राष्ट्र के साथ 2018-2022 के लिए सतत विकास फ्रेमवर्क पर 28 सितंबर 2018 को हस्ताक्षर किये. इस समझौते के तहत सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए दोनों पक्ष मिलकर काम करेंगे.
नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत और भारत में संयुक्त राष्ट्र के राष्ट्रीय संयोजक यूरी अफान्सीव ने एक समारोह में फ्रेमवर्क पर हस्ताक्षर किये. इस मौके पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार भी मौजूद थे.
सतत विकास फ्रेमवर्क के प्रमुख तथ्य
• फ्रेमवर्क में भारत सरकार और भारत में संयुक्त राष्ट्र के दल के बीच विकास में सहयोग की रणनीति तय की गयी है जिससे सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी.
• इसमें ‘गरीबी एवं शहरीकरण’, ‘स्वास्थ्य, जल एवं स्वच्छता’, ‘शिक्षा’, ‘पोषण एवं खाद्य सुरक्षा’, ‘जलवायु परिवर्तन, हरित ऊर्जा और आपदा से निपटने की तैयारी’, ‘कौशल, उद्यमिता एवं रोजगार सृजन’ तथा ‘लैंगिक समानता एवं युवा विकास’ पर फोकस होगा.
• फ्रेमवर्क के क्रियान्वयन के लिए कुल 11,000 करोड़ के रुपये बजट का प्रावधान है जिसमें 47 प्रतिशत क्रियान्वयन के दौरान निजी तथा सरकारी क्षेत्र समेत विभिन्न स्रोतों से जुटाया जायेगा.
• इसमें कम आय वाले सात राज्यों बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के साथ ही पूर्वोत्तर क्षेत्र और नीति आयोग द्वारा चिह्नित अति पिछड़े जिलों पर फोकस किया जायेगा.
महत्व |
वर्ष 2022 में भारत की आजादी की 75वीं वर्षगाँठ मनायी जानी है और इसलिए देश के विकास में 2018 से 2022 का काल महत्वपूर्ण है. इस सिलसिले में संयुक्त राष्ट्र सतत विकास फ्रेमवर्क का महत्त्व और बढ़ जाता है. यह वर्ष 2022 तक ‘न्यू इंडिया’ के निर्माण को गति देगा. |
टिप्पणी
भारत और संयुक्त राष्ट्र की टीमें मिलकर गरीब, कमजोर तथा हाशिये पर स्थित तबकों की भागीदारी सुनिश्चित करेगा ताकि उन्हें देश के तेज आर्थिक विकास का लाभ मिल सके.
यह भी पढ़ें: विश्व आर्थिक मंच ने ‘द फ्यूचर ऑफ़ जॉब्स’ नामक रिपोर्ट जारी की
Comments
All Comments (0)
Join the conversation