राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने 700 करोड़ रुपये लागत की आठ परियोजनाओं को मंजूरी प्रदान की. इनमें से चार परियोजनाएं - उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल में सीवेज प्रबंधन से संबंधित हैं, जबकि तीन परियोजनाएं जैव-उपचार के माध्यम से नालों के उपचार तथा एक परियोजना गंगा नदी के अन्वेषण और निगरानी से संबंधित है.
सीवेज प्रबंधन के क्षेत्र में एक अनुमोदित परियोजना बेली, पश्चिम बंगाल में गंगा नदी में 200.07 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत से प्रदूषण रोकने से संबंधित है. इसमें हाइब्रिड वार्षिकी के तहत पीपीपी मॉडल से 40 एमएलडी एसटीपी तथा अन्य कार्यों का निर्माण भी सम्मिलित है.
भागलपुर, बिहार में हाइब्रिड वार्षिकी के तहत पीपीपी मॉडल से 65 एमएलडी एसटीपी के निर्माण की 268.49 करोड़ रुपये की लागत के अनुमानित लागत से मंजूरी दी गई है.
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उत्तर प्रदेश में 213.62 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सीवेज उपचार संबंधी कार्यों को मंजूरी दी गई है जिसमें फर्रुखाबाद में दो एसटीपी (28 एमएलडी + 05 एमएलडी) तथा फतेहपुर में बारगड़ीया नाले में 2 एमएलडी एसटीपी का निर्माण कार्य शामिल है.
गंगा नदी में प्रदूषण कम करने के लिए बिठूर में 13.40 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सीवेज के अवरोधन, मार्ग बदलाव और उपचार जैसे कार्यों को मंजूरी दी गई है. तीन परियोजनाएं जैव-उपचार प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए नालों के उपचार की 4.29 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली तीन परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई.
ये परियोजनाएं पटना में राजापुर नाला और दीघा नाला तथा हरिद्वार में लक्सर नाले के लिए स्वीकृत की गई हैं. गंगा नदी के प्रदूषण अंवेषण और मूल्यांकन तथा निगरानी की 42.9 करोड़ रूपए की अनुमानित लागत वाली परियोजना को मंजूरी दी है.
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उद्देश्य-
मौजूदा प्रक्रिया को जारी रखते हुए इस परियोजना का उद्देश्य गंगा नदी में पर्यावरण विनियमन और जल गुणवत्ता की निगरानी रखना है.
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