राफेल डील फैक्ट बॉक्स: सुप्रीम कोर्ट ने सभी याचिका की खारिज

Dec 15, 2018, 08:29 IST

सौदे को लेकर दायर की गई सभी याचिकाओं को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. इस मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि राफेल की खरीद प्रक्रिया में कोई कमी नहीं है.

No Probe Into Rafale Deal, Supreme Court Dismisses Petition
No Probe Into Rafale Deal, Supreme Court Dismisses Petition

सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2018 को मोदी सरकार को बड़ी राहत देते हुए राफेल डील की जांच और इस मामले में केस दर्ज किए जाने को लेकर दायर याचिकाओं को खारिज कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि कीमत देखना कोर्ट का काम नहीं है. इसी के साथ, सौदे को लेकर दायर की गई सभी याचिकाओं को कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

इस मामले में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ ने कहा कि राफेल की खरीद प्रक्रिया में कोई कमी नहीं है. चीफ जस्टिस ने कहा कि हम सरकार को 126 विमानों की खरीद के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं.

 

सीलबंद दो लिफाफों में रिपोर्ट सौंपी:

केंद्र सरकार ने सुनवाई में 36 राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत और उसके फायदे के बारे में कोर्ट को सीलबंद दो लिफाफों में रिपोर्ट सौंपी थी. अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि हमने राफेल की कीमत की जानकारी साझा कर दी है, लेकिन इसको रिव्यू करना एक्सपर्ट का काम है. इसको न्यायपालिका रिव्यू नहीं कर सकती है.

 

विमान की कीमत:

केंद्र सरकार की तरफ से अदालत में पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि 2016 के एक्सचेंज रेट के मुताबिक खाली राफेल जेट की कीमत 670 करोड़ रुपये है. लेकिन पूरी तरह से हथियारों से लैस राफेल विमान की कीमत को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे देश के दुश्मन फायदा उठा सकते हैं. सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले को सुरक्षित रखते हुए कहा था कि राफेल लड़ाकू विमानों की कीमत पर तभी चर्चा की जा सकती है, जब वह तय कर लेगी कि उसे सार्वजनिक किया जाएगा या नहीं.

 

                         राफेल डील पर विवाद क्या है?

राफेल डील में विमानों की कथित तौर पर बहुत ज्यादा बढ़ी हुई कीमत यह विवाद का मुख्य कारण बना. सरकारी कंपनी HAL को सौदे से बाहर रखे जाने और अनिल अंबानी की कंपनी को दसॉ द्वारा ऑफसेट पार्टनर बनाए जाने तथा कथित तौर पर सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समति की बिना मंजूरी के ही प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सौदे के ऐलान जैसे मुद्दों को लेकर विवाद है.

राफेल डील को लेकर मुख्य विपक्षी पार्टी काफी हमलावर है और मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही है. सौदे के विवादों में घिरने के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था. विपक्षी पार्टी इस सौदे में भारी अनियमितताओं का आरोप लगा रही है.

 

 

दायर याचिका:

राफेल डील में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए सबसे पहले अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने जनहित याचिका दायर की थी. इसके बाद, एक अन्य अधिवक्ता विनीत ढांडा ने याचिका दायर कर शीर्ष अदालत की निगरानी में इस सौदे की जांच कराने का अनुरोध किया था.

इस मामले में दायर याचिकाओं पर 14 नवंबर 2018 को सुनवाई पूरी की थी. इन याचिकाओं में अनुरोध किया गया कि राफेल विमानों की डील में कथित अनियमितताओं के लिए सीबीआई को एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया जाए लेकिन अब सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है.

 

केंद्र सरकार का पक्ष:

केंद्र सरकार ने फ्रांस से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे का बचाव किया था और इनकी कीमत से संबंधित जानकारी सार्वजनिक करने की मांग का विरोध किया था. भारत ने करीब 58,000 करोड़ रुपए की कीमत से 36 राफेल विमान खरीदने के लिए फ्रांस के साथ समझौता किया है ताकि भारतीय वायुसेना की मारक क्षमता में सुधार किया जा सके.

                                         राफेल विमान की विशेषताएं:

•   राफेल लड़ाकू विमान एक मल्टीरोल फाइटर विमान है जिसे फ़्रांस की डेसॉल्ट एविएशन नाम की कम्पनी बनाती है.

•   राफेल विमान हवा से हवा, हवा से जमीन पर हमले के साथ परमाणु हमला करने में सक्षम होने के साथ-साथ बेहद कम ऊंचाई पर उड़ान के साथ हवा से हवा में मिसाइल दाग सकता है. इतना ही नहीं इस विमान में ऑक्सीजन जनरेशन सिस्टम लगा है और लिक्विड ऑक्सीजन भरने की जरूरत नहीं पड़ती है.

•   यह विमान इलेक्ट्रानिक स्कैनिंग रडार से थ्रीडी मैपिंग कर रियल टाइम में दुश्मन की पोजीशन खोज लेता है. इसके अलावा यह हर मौसम में लंबी दूरी के खतरे को भी समय रहते भांप सकता है और नजदीकी लड़ाई के दौरान एक साथ कई टारगेट पर नजर रख सकता है.

•   यह जमीनी सैन्य ठिकाने के अलावा विमानवाहक पोत से भी उड़ान भरने के सक्षम है. यह 36 हजार फीट से लेकर 50 हजार फीट तक उड़ान भरने में सक्षम है. इतना ही नहीं यह 1 मिनट में 50 हजार फीट पर पहुंच जाता है. इसकी रफ़्तार 1920 किमी प्रति घंटे है.

•   यह 1312 फीट के बेहद छोटे रनवे से उड़ान भरने में सक्षम है. राफले एक बार में 2,000 समुद्री मील तक उड़ सकता है. यह 15,590 गैलन ईंधन ले जाने की क्षमता रखता है.

 

 

यूपीए सरकार का सौदा क्या था?

भारत ने वर्ष 2007 में 126 मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) को खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी. यूपीए सरकार के दौरान राफेल खरीद सौदा नहीं हो पाया था और उस समय सौदे को लेकर दोनों पक्षों में बातचीत ही चलती रही. तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने भारतीय वायु सेना से प्रस्ताव को हरी झंडी दी थी. इस बड़े सौदे के दावेदारों में लॉकहीड मार्टिन के एफ-16, यूरोफाइटर टाइफून, रूस के मिग-35, स्वीडन के ग्रिपेन, बोइंग का एफ/ए-18 एस और दसॉ एविएशन का राफेल शामिल था. मूल प्रस्ताव में 18 विमान फ्रांस में बनाए जाने थे जबकि 108 हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ मिलकर तैयार किये जाने थे.

 

मौजूदा सौदा क्या है?

भारत और फ्रांस ने 36 राफेल विमानों की खरीद के लिए 23 सितंबर 2016 को 7.87 अरब यूरो (लगभग 59,000 करोड़ रुपये) के सौदे पर हस्ताक्षर किए. यह समझौता दोनों देशों की सरकारों के बीच हुआ है. भारतीय एयर फोर्स के अपग्रेडेशन के प्लान के तहत यह समझौता हुई है. इन जेट्स को फ्रांस की दसॉ कंपनी ने तैयार किया है. विमान की आपूर्ति सितंबर 2019 से शुरू होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांसवा ओलांद ने 10 अप्रैल 2015 को संयुक्त बयान जारी कर बताया था कि दोनों सरकारें 36 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति के सौदे के लिए सहमत हैं.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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