दुष्कर्म पीड़िता की पहचान मौत के बाद भी उजागर न करें: सुप्रीम कोर्ट

Dec 13, 2018, 12:16 IST

जस्टिस मदन बी लोकुर व जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि जीवित या मृत किसी भी दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर करने पर पूर्ण प्रतिबंध है.

Not necessary to disclose identity of rape victim even after her death SC
Not necessary to disclose identity of rape victim even after her death SC

सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़ताओं के साथ समाज में होने वाले भेदभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि दुष्कर्म पीड़िता की पहचान मौत के बाद भी उजागर नहीं की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िताओं की पहचान उजागर किए जाने को लेकर निराशा जाहिर करते हुए 11 दिसंबर 2018 को अहम आदेश जारी किया है.

जस्टिस मदन बी लोकुर व जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि जीवित या मृत किसी भी दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर करने पर पूर्ण प्रतिबंध है. इसका अर्थ है कि मीडिया, पुलिस या अन्य किसी के द्वारा दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर नहीं की जा सकेगी.

मुख्य तथ्य

•    सुप्रीम कोर्ट ने इससे संबंधित दिशा-निर्देश जारी किए हैं और देश के हर राज्य के प्रत्येक जिले में दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं के पुनर्वास के लिए वन स्टॉप सेंटर बनाने का निर्देश जारी किया है.

•    सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले की कॉपी देश की सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों को और सभी जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड अध्यक्षों को भिजवाने के लिए आदेश जारी किया है, ताकि उनके आदेशों पर अमल किया जा सके.

 

जस्टिस दीपक गुप्ता का कथन

जस्टिस दीपक गुप्ता ने फैसला सुनाते हुए कहा कि किसी दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर करके उसके सम्मान का हनन इस आधार पर नहीं किया जा सकता कि वह मृत है और इससे उसे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. पीड़िता भले ही मृत हो, कोमा में जा चुकी हो या जीवित हो, किसी भी सूरत में उसकी पहचान उजागर नहीं होनी चाहिए. यदि उनके परिजन नाम उजागर करने की सहमति भी दे तो भी उनकी पहचान उजागर नहीं की जा सकती. केवल जज ही तय कर सकते हैं हैं कि दुष्कर्म पीड़ित का नाम उजागर हो या न हो.

 

जस्टिस मदन बी लोकुर का कथन

समाज दुष्कर्म पीड़िताओं से अछूत की तरह व्यवहार करने लगता है. पुलिस ऐसे सवाल उठाती है जैसे अपराध उसी की वजह से हुआ. उनसे कोर्ट में कठोर सवाल पूछे जाते हैं. यह अहसास कराया जाता है कि जो उसके साथ हुआ है, वह उसी की गलती के कारण हुआ है.


•    सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को भी निर्देश जारी करते हुए कहा है कि रेप और पॉक्सो एक्ट के मामलों में पुलिस एफआईआर वेबसाइट पर अपलोड न करे. फोरेंसिक लैब भी सीलबंद लिफाफे या कवर में ही रिपोर्ट कोर्ट में पेश करे.

•    सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया को कहा है कि किसी घटना को न केवल रिपोर्ट करने का अधिकार मीडिया का होता है बल्कि यह उसकी ड्यूटी भी है. मीडिया का दायित्व है कि वह रेप मामलों को लेकर सनसनी न फैलाये. मीडिया कर्मियों को रेप पीड़िता के साक्षात्कार से भी बचना चाहिए.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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