भारत और पाकिस्तान के बीच महिला कैदियों के साथ ही 18 वर्ष से कम आयु और 60 वर्ष से अधिक आयु के कैदियों की रिहाई करने की बात पर सहमति बनी हैं. उन्हें स्वदेश भेजने के साथ ही संयुक्त न्यायिक कमेटी के दौरे के बहाल करने के मानवीय प्रस्तावों पर भी सहमति बनी है.
दोनों देशो के विदेश मंत्रालयों की तरफ से इस बारे में सूचना देकर यह आस जगाई गई कि भारत और पाकिस्तान के बीच तमाम मतभेदों को दूर करने के लिए समग्र वार्ता का दौर भी शुरू हो सकता है.
कैदियों को रिहा करने से संबंधित मुख्य तथ्य:
• इस सहमति में कैदियों के आदान-प्रदान, इलाज के लिए आसानी से वीजा देने, न्यायिक आयोग को नए सिरे से बहाल करने का प्रस्ताव शामिल है.
• इस प्रस्ताव से सीमा पर जो बेहद तनाव का माहौल है उसे खत्म किया जा सकेगा.
• संयुक्त न्यायिक समिति भी गठित की जाएगी जो एक-दूसरे के देशों की यात्रा कर जेलों में बंद मछुआरों और अन्य कैदियों की स्थिति का पता लगाएगी.
• मानसिक तौर पर बीमार कैदियों की रिहाई के लिए एक-दूसरे के देश में अपनी-अपनी टीम भेजने का भी प्रस्ताव किया गया है, जिस पर अब अमल किया जाएगा.
पृष्ठभूमि:
इस तरह की समिति पहले भी गठित थी, लेकिन अक्टूबर 2013 के बाद से समिति ने एक-दूसरे के देशों की यात्रा नहीं की है. अब दोनों देशों के बीच सहमति बनी है तो इसे अमल में लाने की प्रक्रिया पर बातचीत होगी.
यह देखा जा रहा है की भारत और पाकिस्तान के बीच दो वर्षों से भी ज्यादा लंबी तनातनी के बाद फिर रिश्तों में सुधार की कोशिश शुरू हुई है, जो एक सकारात्मक बात है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अक्टूबर 2017 में पाकिस्तानी उच्चायुक्त को सुझाव दिया था कि बुजुर्ग, महिला, बच्चे और मानसिक रूप से अस्वस्थ कैदियों संबंधी मानवीय मुद्दे पर दोनों पक्ष आगे बढ़ सकते हैं.
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