संसद ने 127वां संविधान संशोधन विधेयक किया पारित, राज्यों को मिली अपनी OBC सूची बनाने की शक्ति

Aug 13, 2021, 17:18 IST

संसद द्वारा पारित 127 वें संविधान संशोधन विधेयक का उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा  अपनी OBC सूची खुद बनाने की शक्ति को बहाल करना है. राज्यसभा में सदन के बहुमत के साथ इस विधेयक को मंजूरी दी गई है.

Parliament passes 127th Constitution Amendment Bill restoring state's power to make their own OBC list
Parliament passes 127th Constitution Amendment Bill restoring state's power to make their own OBC list

राज्यसभा द्वारा इस विधेयक को अपनी मंजूरी देने के साथ ही, संसद द्वारा 11 अगस्त, 2021 को संविधान (127 वां) संशोधन विधेयक, 2021 पारित कर दिया गया. राज्यसभा ने सदन की ताकत के बहुमत के साथ और सदन में मौजूद सदस्यों के दो-तिहाई बहुमत से इस विधेयक को अपनी मंजूरी दी है.

राज्यसभा में 187 सदस्यों ने इस 127वें संविधान संशोधन विधेयक के पक्ष में मतदान किया जबकि किसी भी सदस्य ने इसके विरोध में अपना मत नहीं दिया. सदन ने कुछ विपक्षी सदस्यों द्वारा पेश किए गए संशोधनों की भी उपेक्षा की.

लोकसभा ने 10 अगस्त, 2021 को संविधान (127वां) संशोधन विधेयक, 2021 को सर्वसम्मति से पारित किया था. इस विधेयक को संसद के निचले सदन में सदन की संख्या के दो-तिहाई से अधिक बहुमत के साथ पारित किया गया था.

इस कानून/ विधेयक का उद्देश्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की OBC सूची स्वयं तैयार करने की शक्ति को बहाल करना है. लोकसभा में इस मतदान प्रक्रिया के दौरान, 385 सदस्यों ने इस विधेयक के पक्ष में मतदान किया, और कोई भी संसद सदस्य इस विधेयक के खिलाफ नहीं था.

127वां संविधान संशोधन विधेयक: इसकी आवश्यकता क्यों है?

मई, 2021 में अपने मराठा आरक्षण के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा 102वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम को बरकरार रखने के बाद, नवीनतम संशोधन की आवश्यकता थी, लेकिन यह कहा गया कि, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) की सिफारिशों के आधार पर, राष्ट्रपति यह निर्धारित करेंगे कि राज्य OBC सूची में कौन से समुदाय शामिल होंगे.

वर्ष, 2018 के 102वें संविधान संशोधन अधिनियम ने अनुच्छेद 342 के बाद अनुच्छेद 342 A (दो खंडों के साथ) और अनुच्छेद 338B को शामिल किया था.

आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप क्यों किया?

SEBC अधिनियम, 2018 के तहत महाराष्ट्र राज्य में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण एक अच्छी-खासी चुनौतीपूर्ण कार्रवाई थी, जब तक कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने मई माह के फैसले में इसे असंवैधानिक नहीं ठहराया था.

यह उल्लेखनीय है कि, कम से कम तीन भारतीय राज्यों - हरियाणा, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ - ने ऐसा रिजर्वेशन कोटा पेश किया है जो कुल 50% की सीमा का उल्लंघन करता है. दूसरी ओर, गुजरात, राजस्थान, झारखंड और कर्नाटक जैसे राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट से आरक्षण की उपरि सीमा बढ़ाने की मांग की है.

127वां संविधान संशोधन विधेयक: इस विधेयक की जरुरत क्यों है?

यह संशोधन विधेयक हमारे देश के संविधान अनुच्छेद 342A के खंड 1 और 2 में संशोधन करेगा और एक नया खंड 3 भी पेश करेगा. यह अनुच्छेद 366 (26c) और 338B (9) में भी संशोधन करेगा.

इस 127वें संविधान संशोधन विधेयक को यह स्पष्ट करने के लिए संसद में पारित किया गया है कि, देश की सभी राज्य सरकारें अपने राज्य में OBC की 'राज्य सूची' को बनाए रख सकती हैं.

विपक्ष संशोधन विधेयक का समर्थन क्यों कर रहा है?

सत्तारूढ़ भाजपा और कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों की योजना चुनावी राज्यों में, खासकर राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश में, OBC समुदायों के बीच समर्थन हासिल करना है.

इस विधेयक के राजनीतिक पेच/ महत्त्व ने विपक्षी दलों को सत्तारूढ़ दल के साथ ही इस विधेयक का समर्थन करने के लिए मजबूर कर दिया है.

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