प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अफगानिस्तान के हालिया घटनाक्रम के साथ-साथ द्विपक्षीय मुद्दों पर 24 अगस्त 2021 को लगभग 45 मिनट तक चर्चा की. पीएम मोदी ने एक ट्वीट में कहा कि अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम पर अपने मित्र राष्ट्रपति पुतिन के साथ विस्तृत और उपयोगी विचारों का आदान-प्रदान किया.
जानकारी के अनुसार, दोनों नेताओं ने इस दौरान अफगानिस्तान के ताजा हालात और दोनों देशों के सहयोग को लेकर चर्चा की. बता दें कि पीएम मोदी ने अफगानिस्तान के हालात को लेकर इससे पहले बीते दिन 23 अगस्त 2021 को जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल से फोन पर बात की थी.
वेट एंड वॉच की नीति
गौरतलब है कि भारत अभी लगातार अफगानिस्तान को लेकर वेट एंड वॉच की नीति को अपना रहा है. भारत का फोकस अभी वहां से अपने नागरिकों को निकालने पर है. हालांकि, भारत सरकार ने 26 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान के मसले पर सभी राजनीतिक दलों से चर्चा करने के लिए एक बैठक भी बुलाई है.
Had a detailed and useful exchange of views with my friend President Putin on recent developments in Afghanistan. We also discussed issues on the bilateral agenda, including India-Russia cooperation against COVID-19. We agreed to continue close consultations on important issues.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 24, 2021
तालिबानी शासन
अफगानिस्तान में अब तालिबानी शासन को एक हफ्ता हो गया है और दुनिया के कई देश लगातार अपने लोगों को निकालने में जुटे हुए हैं. अभी तक किसी देश ने तालिबान को मान्यता देने की बात नहीं की है. हालांकि कई देशों ने प्रतिबंध लगाने के संकेत जरूर दिए हैं. तालिबान द्वारा लगातार दुनिया से अपील की जा रही है कि उनको मान्यता दी जाए. साथ ही तालिबान ने सभी देशों से अपनी एम्बेसी को चालू रखने की अपील की है. हालांकि, अधिकतर देश अपनी एम्बेसी को खाली कर चुके हैं.
अफगानिस्तान में बढ़ती सुरक्षा चिंता
अफगानिस्तान में बढ़ती सुरक्षा चिंता और क्षेत्र तथा दुनिया पर इसके प्रभावों पर चर्चा करते हुए, उन्होंने शांति और सुरक्षा बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया, जिसमें सबसे जरूरी प्राथमिकता फंसे हुए लोगों की वापसी है. मोदी ने 23 अगस्त 2021 को ट्वीट करते हुए कहा था कि आज शाम चांसलर मर्केल से बात की और अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम सहित द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की. भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दोहराया.
मुश्किल समय में अफगानिस्तान
रूस के राष्ट्रपति पहले ही अफगानिस्तान के शरणार्थियों के मामले पर सख्त रुख दिखा चुके हैं. उन्होंने बीते दिनों बयान दिया कि रूस शरणार्थियों की आड़ में अपने देश के भीतर आतंकियों की घुसपैठ नहीं चाहता है. हालांकि उन्होंने इस मुश्किल समय में अफगानिस्तान की हर मुमकिन सहायता करने का भरोसा जरूर दिया है.
अफगानिस्तान पर कब्जा
अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज के हटने के फैसले के बाद वहां तालिबान ने कब्जा कर लिया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने अफगानिस्तान में 20 साल लंबे सैन्य अभियान को खत्म करने का एलान किया और अपनी सेना की वापसी शुरू कर दी है. इसके बाद से तालिबान (रूस में गैरकानूनी) अफगान सरकारी बलों के खिलाफ आक्रामक हो गया. 15 अगस्त को, तालिबान लड़ाके बिना किसी रुकावट का सामना किए काबुल में घुस गए, और कुछ ही घंटों में अफगान राजधानी पर पूरा कंट्रोल हासिल कर लिया.
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