प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार, 12 अक्टूबर, 2021 को अफगानिस्तान पर G20 के शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, जिसमें सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के अलावा, मानवीय जरूरतों के साथ ही बुनियादी सेवाओं और आजीविका तक पहुंच पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. अपने एक बयान में, केंद्र सरकार ने यह कहा है कि, इस शिखर सम्मेलन में गतिशीलता, प्रवास और मानवाधिकारों पर भी चर्चा होगी.
अफगानिस्तान के लोगों के लिए G20 शिखर सम्मेलन में बोलेगा भारत
विदेश मंत्रालय ने अपने एक बयान में यह कहा है कि, G20 में दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं और यह अंतर्राष्ट्रीय आम सहमति बनाने में मदद करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है और यह अफगानिस्तान में बिगड़ते मानवीय संकट को दूर करने के लिए संयुक्त राष्ट्र, इसकी संबद्ध एजेंसियों और वैश्विक तथा क्षेत्रीय निष्पादकों सहित बहुपक्षीय संगठनों के बीच एक समन्वित दृष्टिकोण की सुविधा प्रदान करता है. इस शिखर सम्मेलन के माध्यम से तालिबान को संकेत देने की उम्मीद है कि, अगर वह वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय मान्यता चाहता है तो सुरक्षा और मानवाधिकारों सहित महिलाओं, अल्पसंख्यकों और बच्चों के प्रति किये जाने वाले व्यवहार से संबंधित मुद्दों पर उसे क्या करना चाहिए.
भारत ने तालिबान सरकार के सख्त रवैये के बावजूद, अफगानिस्तान के लोगों के साथ खड़े होने का संकल्प लिया है. इस G20 शिखर सम्मेलन का आयोजन इतालवी प्रेसीडेंसी द्वारा किया जा रहा है. इससे पहले, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा में उपस्थित होने के अतिरिक्त, अफगानिस्तान पर G20 विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया था.
भारत और अफगानिस्तान संबंध: पृष्ठभूमि
एशिया में स्थित इन दोनों पड़ोसी देशों - भारत और अफगानिस्तान – के ऐतिहासिक और मजबूत द्विपक्षीय संबंध हैं, और दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संघ (SAARC) सहित कई क्षेत्रीय साझेदारियों का ये दोनों ही देश एक हिस्सा भी हैं. MEA के अनुसार, इन दोनों देशों के मैत्रीपूर्ण संबंधों की शुरुआत जनवरी, 1950 में हुई थी जब, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और भारत में अफगान के तत्कालीन राजदूत मोहम्मद नजीबुल्लाह द्वारा पांच साल की मित्रता संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे.
भारत के बारे में तालिबानी नेताओं का वक्तव्य और विचार
तालिबान नेता शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनकजई ने यह कहा है कि, उनका ग्रुप भारत के साथ अफगानिस्तान के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को जारी रखना चाहता है. तालिबान के शीर्ष पदानुक्रम के किसी सदस्य ने काबुल के अधिग्रहण के बाद, पहली बार इस मुद्दे पर बात की है.
15 अगस्त, 2021 को अशरफ गनी सरकार के पतन के बाद, तालिबान ने काबुल में सत्ता संभाली ली थी. इस ग्रुप के प्रवक्ता सुहैल शाहीन और जबीउल्लाह मुजाहिद ने भारत के साथ संबंधों पर, अपने ग्रुप के विचारों के बारे में पाकिस्तानी मीडिया से बात की है. हालांकि, स्टेनकजई दूसरे देशों के साथ संबंधों पर बयान देने वाले पहले वरिष्ठ नेता भी हैं इसलिए, उन्होंने अपने इस बयान में आगे यह कहा कि, “भारत इस उपमहाद्वीप के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. हम पहले की तरह भारत के साथ अपने सांस्कृतिक, आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को जारी रखना चाहते हैं.”
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