Coal Crisis in India: भारत समेत पूरी दुनिया में बिजली की मांग तेजी से बढ़ी है. इस बीच कहा जा रहा है कि देश में बिजली संकट पैदा हो सकती है. ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार, विदेश से आने वाले कोयले की कीमत बढ़ने से इसकी सप्लाई कम हुई है और घरेलू कोयले पर निर्भरता बढ़ी है. इसका परिणाम, कोयले की कमी देखने को मिल रही है. राज्यों ने केंद्र सरकार से सहायता मांगी है तो पावर सप्लाई करने वाली कंपनियां भी ग्राहकों से सोच समझकर बिजली खर्च करने को कह रही हैं.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने देश में बड़े बिजली संकट की आशंका पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि पहले की तरह कोयले का 17 दिन का स्टॉक नहीं है लेकिन 4 दिन के स्टॉक से ज्यादा है. ऊर्जा मंत्री ने कहा कि दिल्ली में जितनी बिजली की आवश्यकता है, उतनी बिजली की आपूर्ति हो रही है और होती रहेगी.
भारत और चीन में क्यों आया कोयले का संकट?
ऑस्ट्रेलियाई कोयला कीमत बढ़ने के बावजूद इंडोनेशियाई कोयले की तुलना में कम बेहतर है. परिणाम ये हुआ कि चीन ने ऑस्ट्रेलिया से कोयला खरीदना बंद कर दिया और इंडोनेशिया से बढ़ा दिया. हालांकि, ऑस्ट्रेलिया अभी भी भारत को कोयले की आपूर्ति कर रहा है. एक तरफ भारत में कोयले के आयात में कमी आ रही है तो इसके उलट चीन में आयात बढ़ रहा है. भारत और चीन दोनों के लिए ही आयायतित कोयला बहुत जरूरी है. हालांकि, आयातित कोयले की कीमत बढ़ते ही दोनों ही देशों ने घरेलू उत्पादन बढ़ाने की कोशिशें तेज कर दी हैं.
बिजली संकट क्यों है?
हमारे देश में लगभग 72 प्रतिशत बिजली की मांग कोयले के जरिए पूरी की जाती है. कोयले से बिजली उत्पादन के बाद कंपनियां इंडस्ट्री से लेकर आम लोगों तक को सप्लाई करती हैं. इसके एवज में कंपनियां अपने ग्राहकों से यूनिट के हिसाब से बिजली बिल लेती हैं.
कोयले की कमी का असल वजह क्या है?
देश में कोयले की कमी आ गई है. अगस्त 2021 से बिजली की मांग में बढ़ोतरी देखी जा रही है. अगस्त 2021 में बिजली की खपत 124 बिलियन यूनिट थी जबकि अगस्त 2019 में (कोविड अवधि से पहले) खपत 106 बिलियन यूनिट थी. यह लगभग 18-20 प्रतिशत की वृद्धि है.
कोयले की खतप क्यों बढ़ी है?
कोयले की खपत बढ़ने की कई वजह है. सबसे पहली वजह अनलॉक की प्रक्रिया है. कोरोना की पहली और दूसरी लहर के बाद अब देश की इंडस्ट्रियां लगभग पूरी तरह से काम कर रही हैं. इनका विस्तारिकरण हो रहा है. इस वजह से भी बिजली की खपत बढ़ी है. गर्मी की वजह से खपत को बूस्ट मिला है. ये संकट अचानक नहीं है. पिछले कई महीनों से हालात ठीक नहीं है. दरअसल, भारत में कोयले की स्टोरेज सीमित अवधि के लिए है.
अर्थव्यवस्था पर क्या असर होगा?
त्योहारी सीजन के दौर में बिजली का संकट देश की अर्थव्यवस्था के लिए बुरी खबर है. कोरोना के झटके से उबर रही अर्थव्यवस्था में सुस्ती आ सकती है. दरअसल, बिजली संकट की वजह से इंडस्ट्री में प्रोडक्शन, सप्लाई, डिलीवरी समेत वो सबकुछ प्रभावित होगा जो अर्थव्यवस्था के लिए बूस्टर डोज होती हैं. कोयले के आयात बढ़ने की वजह से सरकार का विदेशी मुद्रा भंडार ज्यादा खर्च होगा.
कई मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा
बिजली संकट की आशंका को देखते हुए कई मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है. दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दखल देने की मांग की है. वहीं, आंध्र प्रदेश और पंजाब के मुख्यमंत्रियों ने भी इस संबंध में केंद्र को चिट्ठी भेजी है.
सरकार क्या कर रही?
विद्युत मंत्रालय ने कोयले के स्टॉक का प्रबंधन करने और कोयले के समान वितरण को सुनिश्चित करने के लिए 27 अगस्त 2021 को एक कोर मैनेजमेंट टीम (सीएमटी) का गठन किया था. इसमें एमओपी, सीईए, पोसोको, रेलवे और कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के प्रतिनिधि शामिल थे. सीएमटी दैनिक आधार पर कोयले के स्टॉक की बारीकी से निगरानी और प्रबंधन कर रहा है.
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