राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 3 मार्च 2017 को अड्यार, चेन्नई में विमेंस इंडियन एसोसिएशन शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया.
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि कोई भी समाज अपने आपको सभ्य नहीं कह सकते जो महिलाओं, बच्चों का सम्मान नहीं करते तथा उनकी सुरक्षा और बचाव के गारंटी नहीं लेते.
सरकार द्वारा चलाए गए लैंगिक न्याय को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम तब तक सफल नहीं हो सकते जब तक कि हमारी अंतरआत्मा में मानवीय बुनियादी मूल्यों के प्रति गहरी प्रतिबद्धता न हो. महिलाओं के प्रति हिंसा उनके खिलाफ, ऐसा कुकृत्य करने वालों के दिल और मस्तिष्क में व्याप्त हिंसा को परिलक्षित करता है.
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने विमेंस इंडियन एसोसिएशन की स्थापना में डॉ. एनी बेसेंट और सरोजनी नायडू को उनकी अग्रणी भूमिका के लिए याद किया.
उन्होंने कहा कि विमेंस इंडियन एसोसिएशन की भूमिका शारदा विधेयक- बाल विवाह निषेध अधिनियम को लागू कराने, लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने और देवदासी प्रथा को समाप्त कराने में महत्वगपूर्ण भूमिका निभाई है.
उन्होंने कहा कि विमेंस इंडियन एसोसिएशन की और अधिक शाखाएं अपने मुताबिक, समाज में परिवर्तन लाने के लिए अन्य सामाजिक कारणों को प्रतिबद्धता तथा उत्साह के साथ कर रही हैं.
उन्होंने विश्वास जताया कि विमेंस इंडियन एसोसिएशन देश की महिलाओं की सामूहिक आकांक्षाओं को साकार तथा पूरा करने में अपनी अग्रणी भूमिका जारी रखेगा.
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