RBI ने विमल जालान कमेटी की सिफारिश को स्वीकार किया, सरकार को दी अधिशेष हस्तांतरण की मंजूरी

Aug 27, 2019, 10:15 IST

यह कदम आरबीआई के निदेशक मंडल के केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद उठाया गया है.

bimal jalan
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भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 26 अगस्त 2019 को लाभांश और अधिशेष कोष के मद से 1.76 लाख करोड़ रुपये सरकार को हस्तांतरित करने का निर्णय किया है. यह कदम आरबीआई के निदेशक मंडल के केंद्रीय बैंक के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद उठाया गया है.

आरबीआई निदेशक मंडल ने 1,76,051 करोड़ रुपये सरकार को हस्तांतरित (ट्रांसफर) करने का निर्णय किया है. इसमें साल 2018-19 के लिये 1,23,414 करोड़ रुपये के अधिशेष तथा 52,637 करोड़ रुपये अतिरिक्त प्रावधान के रूप में चिन्हित किया गया है. यह अतिरिक्त प्रावधान की यह राशि आरबीआई की आर्थिक पूंजी के तहत संशोधित नियमों (ईसीएफ) के आधार पर निकाला गया है.

समिति द्वारा अंतिम रिपोर्ट

समिति को यह तय करने को कहा गया था कि केंद्रीय बैंक के पास कितनी आरक्षित राशि होनी चाहिए. इस समिति में सरकार की ओर से वित्त सचिव राजीव कुमार शामिल थे. समिति ने 14 अगस्त 2019 को अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया था. आरबीआई से प्राप्त राशि से सरकार को अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के प्रयासों में सहायता मिलेगी. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार हेतु अगस्त 2019 में विभिन्न कदमों की घोषणा की थी.

फायदा

आरबीआई की ओर से अतिरिक्त ट्रांसफर किए जाने से केंद्र सरकार के पास अतिरिक्त पैसा आएगा. इससे सरकार को सार्वजनिक लोन चुकाने और बैंकों में पूंजी डालने में सहायता मिलेगी.

समिति का गठन

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में छह सदस्यों वाली समिति का गठन किया गया था. इस समिति का गठन 26 दिसंबर 2018 को किया गया था. समिति का गठन आरबीआई के लिए इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क (ECF) की समीक्षा हेतु किया गया था.

समिति में शामिल सदस्य

आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान के अतिरिक्त इस समिति में पूर्व डिप्टी गवर्नर राकेश मोहन, वित्त सचिव राजीव कुमार, केंद्रीय बैंक के डिप्टी गवर्नर एन एस विश्वनाथन और सेंट्रल बोर्ड के दो सदस्य भरत दोशी एवं सुधीर मनकड़ भी शामिल हैं.

इससे पहले भी तीन समितियां बन चुकी हैं

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का रिजर्व आदर्श के रूप में कितना होना चाहिए, इसके बारे में बताने के लिए इससे पहले तीन समितियां बन चुकी हैं. साल 1997 में वी सुब्रह्मण्यम, साल 2004 में ऊषा थोराट और साल 2013 में वाय एच मालेगाम की अगुआई वाली समिति बनाई गई थी.

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