देश में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने हेतु भारतीय रिजर्व बैंक ने डेबिट कार्ड से भुगतान पर लगने वाले मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) शुल्क में भारी कटौती करने का प्रस्ताव किया है.
फिलहाल डेबिट कार्ड से भुगतान करने पर एमडीआर शुल्क का भार ग्राहक को ही उठाना पड़ता है. इस कारण से डिजिटल पेमेंट भौतिक रूप से किए जाने वाले पेमेंट की तुलना में महंगा पड़ता है.
भारतीय रिजर्व बैंक के नए प्रस्ताव के प्रमुख तथ्य:
• भारतीय रिजर्व बैंक ने 20 लाख रुपए वार्षिक कारोबार वाले छोटे कारोबारियों तथा बीमा, शिक्षा संस्थान और सरकारी अस्पताल, म्युचुअल फंड जैसे विशेष श्रेणी के मर्चेंट के लिए एमडीआर शुल्क सौदा मूल्य का 0.40 फीसदी रखने का प्रस्ताव किया है.
• डेबिट कार्ड लेनदेन हेतु एमडीआर को युक्तिसंगत बनाने के बारे में मसौदा परिपत्र जारी किया है. डेबिट कार्ड के जरिए भुगतान इत्यादि पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट शुल्क लगाया जाता है. फिलहाल 2000 रुपए तक के लेनदेन पर अधिकतम 0.75 फीसदी मर्चेंट डिस्काउंट रेट लगता है जबकि 2000 रुपए से उपर की राशि पर यह दर एक फीसदी है.
• रिजर्व बैंक ने क्रेडिट कार्ड से भुगतान पर मर्चेंट डिस्काउंट रेट पर कोई सीमा तय नहीं की है. रिजर्व बैंक ने नोटबंदी के बाद इन शुल्कों में 31 मार्च तक कटौती की.
• मसौदा परिपत्र के मुताबिक नए शुल्क एक अप्रैल से प्रभावी होंगे.
• एमडीआर शुल्क के लिहाज से रिजर्व बैंक ने कारेाबारियों को चार श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव किया है.
• रिजर्व बैंक ने नागरिकों द्वारा सरकारी टैक्सि का भुगतान डेबिट कार्ड के जरिए किए जाने पर बैंकों को मर्चेंट डिस्काउंट रेट शुल्क का भुगतान शुरू करेगा.
• केंद्र सरकार ने दिसंबर 2016 में घोषणा किया था कि विभिन्न तरह के भुगतान के लिए डेबिट कार्ड के इस्तेमाल पर एमटीआर शुल्क सरकार वहन करेगी.
• केंद्र सरकार ने नोटबंदी के बाद देश में डिजिटल लेनदेन को बढावा देने तथा प्रोत्साहित करने के लिए यह कदम उठाया था.
• केंद्रीय बैंक ने अब एक अधिसूचना में कहा है, केंद्र सरकार के निर्देशों के पालन के लिए रिजर्व बैंक 1 जनवरी 2017 के बाद से डेबिड कार्डों के जरिए भुगतान मद में एमडीआर शुल्कों का भुगतान बैंकों को करेगा.
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