भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 05 दिसंबर 2018 को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र के आर्थिक व वित्तीय स्थायित्व के लिए कारणों की पहचान करने और लंबी अवधि के समाधान प्रस्तावित करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने की घोषणा की.
इसके अतिरिक्त आरबीआई ने कहा कि अगले वित्त वर्ष से एमएसएमई के लिए बैंकों द्वारा फ्लोटिंग ब्याज दर के लिए एक नया बाह्य बेंचमार्क बनाया जाएगा. यह क्षेत्र के विनियमन और पर्यवेक्षण को मजबूत बनाने की दिशा में एक कदम है.
मुख्य बिंदु
• एमएसएमई क्षेत्र के आर्थिक व वित्तीय स्थायित्व के लिए कारणों की पहचान करने और लंबी अवधि के समाधान प्रस्तावित करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जाएगा.
• यह समिति त्वरित कार्रवाई वाली श्रेणी में रखे गए बैंकों पर विचार करेगी.
• 21 सरकारी बैंकों में से 11 इस श्रेणी में हैं. आरबीआई इनके लिए नियमों में ढील दे सकता है.
• विशेषज्ञों की एक अन्य समिति की सिफारिशों के आधार पर आरबीआई ने घोषणा की है कि बैंक प्राइम लेंडिंग रेट (पीएलआर), बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (बीपीएलआर), बेस रेट और मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट (एमसीएलआर) जैसे, मौजूदा आंतरिक बेंचमार्क के बदले अपने फ्लोटिंग रेट वाले कर्ज के लिए बाहरी बेंचमार्क का इस्तेमाल करेंगे.
• विशेषज्ञों की समिति का गठन इस महीने के अंत तक किया जाएगा, जबकि समिति जून 2019 तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
आवश्यकता
मुख्य रूप से अनौपचारिक प्रकृति के कारण एमएसएमई को संरचनात्मक और चक्रीय आघातों का खतरा रहा और उसके लगातार प्रभाव मिलते रहे हैं. इसलिए एमएसएमई के प्रदर्शन को प्रभावित करने वाले आर्थिक ताकतों व अंतरण लागत को समझना जरूरी है.
इस दिशा में कदम उठाते हुए यह प्रस्ताव किया गया है कि पर्सनल या रिटेल लोन (आवास, ऑटो आदि के लिए कर्ज) के निए नया फ्लोटिंग रेट और सूक्ष्म व लघु उद्यमों के लिए फ्लोटिंग रेट वाले कर्ज के लिए एक अप्रैल, 2019 से इनमें से एक बेंचमार्क का उपयोग किया जाएगा.
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