हाईलाइट्स:
- RBI ने रेपो रेट 6.50% से घटाकर 6.25% किया, जिससे लोन सस्ते होंगे और EMI में राहत मिलेगी.
- बैंकों के EBLR और MCLR दरों में कटौती से होम, ऑटो और पर्सनल लोन पर ब्याज दरें घटेंगी.
- निवेश और रोजगार को बढ़ावा, महंगाई नियंत्रण में रही तो आगे और कटौती संभव.
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 7 फरवरी को रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट (0.25%) की कटौती कर इसे 6.25% कर दिया. इससे होम, ऑटो और पर्सनल लोन सस्ते होंगे और EMI में राहत मिलेगी। महंगाई नियंत्रण में रही तो आगे और कटौती संभव है, जिससे कर्ज लेना और सस्ता हो सकता है.
RBI cut the repo rate by 25 Bps. First cut in 5 years.#RepoRate #rbimpc #ratecut #RBI pic.twitter.com/EE53brO578
— Vandana Jain (@VJainofficial) February 7, 2025
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रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती:
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार, 7 फरवरी को लगभग 5 साल बाद पहली बार रेपो रेट में कटौती की है. मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को 6.50% से घटाकर 6.25% कर दिया. इससे पहले, RBI ने 2 साल तक इस दर को स्थिर रखा था.
रेपो रेट कटौती की वजह क्या है?
RBI का यह फैसला अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और कर्ज को सस्ता करने के लिए लिया गया है. चूंकि महंगाई दर RBI के लक्ष्य के दायरे में है, इसलिए नीतिगत दर में कटौती से उधारी, खर्च और निवेश को प्रोत्साहित करने में मदद मिलेगी.
RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा के अनुसार:
- GDP ग्रोथ अनुमान 6.7% रखा गया है.
- खुदरा महंगाई दर 4.2% पर रहने का अनुमान है.
- ब्याज दरों में कटौती से क्रेडिट ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा.
इसका असर आम जनता और बैंकिंग सिस्टम पर:
- EMI में राहत – रेपो रेट कम होने से होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन के ब्याज दरों में कमी आएगी, जिससे मासिक EMI घटेगी.
- लोन लेना सस्ता होगा – बैंकों के External Benchmark Lending Rate (EBLR) में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती होगी, जिससे उधार लेना आसान होगा.
- बैंकों के MCLR पर असर – बैंक अपने Marginal Cost of Funds-based Lending Rate (MCLR) में भी कटौती कर सकते हैं, जिससे पुराने लोन पर भी राहत मिलेगी.
- निवेश और रोजगार को बढ़ावा – जब लोन सस्ता होगा, तो बिजनेस और इंडस्ट्री ज्यादा निवेश करेंगे, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ सकते हैं.
- ग्लोबल इकॉनमी से तालमेल – दुनियाभर के कई केंद्रीय बैंक पहले से नरम मौद्रिक नीति अपना रहे हैं, ऐसे में RBI की यह कटौती भारत को वैश्विक आर्थिक प्रवृत्तियों के अनुरूप बनाएगी.
क्या आगे और कटौती संभव है?
अगर महंगाई नियंत्रण में रहती है और ग्रोथ को और समर्थन की जरूरत पड़ती है, तो RBI भविष्य में और दरों में कटौती कर सकता है. फिलहाल, नीति समिति ने मौद्रिक रुख को "न्यूट्रल" बनाए रखा है, यानी आगे ब्याज दरों में बदलाव की संभावना बनी रहेगी.
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