Retail Inflation update: खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में बढ़कर हुई सात प्रतिशत, जानें सरकार ने क्या कहा?

Sep 13, 2022, 12:04 IST

Retail Inflation update: खुदरा कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) पर आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 7.0% के स्तर पर पहुँच गयी है. यह दर 22 जुलाई में 6.71% थी. इस वर्ष अभी तक हर माह में खुदरा महंगाई दर RBI के टॉलरेंस बैंड 2-6 के बीच के लेवल से ऊपर बना हुआ है. 

खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर सात प्रतिशत
खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर सात प्रतिशत

Retail Inflation update: खुदरा कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) पर आधारित मुद्रास्फीति अगस्त में 7.0% के स्तर पर पहुँच गयी है. यह दर 22 जुलाई में 6.71% थी. वित्त मंत्रालय के अनुसार जुलाई में मुद्रास्फीति 6.71% से अगस्त में (7.0%) मामूली वृद्धि दर्ज की है. यह वृद्धि प्रतिकूल आधार प्रभाव और खाद्य और ईंधन की कीमतों में आई वृद्धि के कारण हुई है. जो CPI मुद्रास्फीति के क्षणिक घटक माने जाते है. इस वर्ष अभी तक हर माह में खुदरा महंगाई दर आरबीआई (Reserve Bank of India) के टॉलरेंस बैंड 2-6 के बीच के लेवल से ऊपर बना हुआ है.

तीन महीनों की गिरावट के बाद फिर बढ़ा:

पिछलें तीन महीनों में खुदरा महंगाई में गिरावट दर्ज की गयी थी, जो अब एक बार फिर से बढ़ गयी है. साथ ही यह भी कहा जा रहा है की आगे आने वाले महीनों में इसमे और वृद्धि दर्ज की जा सकती है. वित्त मंत्रालय ने इस बढ़ोत्तरी पर कहा कि मुख्य मुद्रास्फीति की गणना CPI के क्षणिक घटक को छोड़कर की जाती है. 
अगस्त 2022 में 'खाद्य और पेय पदार्थ' और ईधन आदि दर  5.9 प्रतिशत दर्ज किये गए, जो लगातार चौथे महीने 6 प्रतिशत की सहिष्णुता सीमा (Tolerance limit) से नीचे रहे है.सरकार ने कहा है कि जुलाई 2022 में आईआईएम-अहमदाबाद का बिजनेस इन्फ्लेशन एक्सपेक्टेशंस सर्वे जून में 5.17% से 34 बीपीएस घटकर 4.83% हो गया है. 17 महीनों के बाद मुद्रास्फीति की उम्मीद 5% से नीचे आ गई है. 

खुदरा महंगाई (Retail Inflation) के बढ़ने के कारण:

मानसून: देश में मानसून का अनियमित रहना, खुदरा महंगाई के बढ़ने का एक कारण हो सकता है. जिससे आने वाले समय में भी खुदरा महंगाई का यह स्तर बना रहा सकता है. अनिश्चित मानसून और सब्जियों की कीमतों में नकारात्मक प्रभाव के बावजूद जुलाई में खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी चालू वर्ष के अप्रैल के उच्चतम शिखर से कम है.

वैश्विक मुद्रास्फीति दबाव: वैश्विक मुद्रास्फीति दबाव के कारण, खुदरा महंगाई में गिरावट उम्मीद के अनुरूप नहीं है. लेकिन वैश्विक मुद्रास्फीति दबावों के साथ, स्थिर कोर मुद्रास्फीति के साथ भारत में मुद्रास्फीति की उम्मीदें टिकी हुई हैं.

आरबीआई का पक्ष:

भारत की केन्द्रीय बैंक ने मई-अगस्त में प्रमुख नीतिगत दरों में 140 आधार अंकों की बढ़ोतरी की थी. जिससे उधार लेने की लागत में कमी आई है.RBI का अगला नीतिगत फैसला 30 सितंबर को होना है. केंद्रीय बैंक को उम्मीद है कि मार्च तक मुद्रास्फीति औसतन 6.7% रहेगी.

चालू वित्त वर्ष के पहले तीन महीनों में खुदरा महंगाई 7% से ऊपर रही है. खुदरा मुद्रास्फीति के अन्य आकड़ो की अपेक्षा, भारत सरकार की बॉन्ड प्रतिफल आज मामूली रूप से अधिक रही है. यह पिछले सत्र में 7.1699% की तुलना में इस बार  7.1811% पर समाप्त हुआ है.

वित्त मंत्रालय ने क्या कहा?

वित्त मंत्रालय ने कहा है कि खुदरा महंगाई को कम करने के लिए, खाद्य तेलों और दालों की कीमतों को कम रखने के लिए आयातित वस्तुओं पर टैरिफ को समय-समय पर युक्तिसंगत बनाया गया है और साथ ही जमाखोरी को रोकने के लिए इसके स्टॉक की भी सीमा निर्धारित की गयी है. तेल, दालों और अन्य उत्पादों में मुद्रास्फीति कम हुई है.

वित्त मंत्रालय के अनुसार, लौह अयस्क और इस्पात जैसे प्रमुख आदानों की कीमतों में वैश्विक बाजारों में गिरावट आई है. जिससे घरेलू आपूर्ति को बढ़ाने के लिए इनपुट के टैरिफ ढांचे को युक्तिसंगत बनाने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों के साथ उपभोक्ता वस्तुओं में लागत वृद्धि मुद्रास्फीति को नियंत्रण में रखने में मदद की है.
आगे आने वाले कुछ महीनों सहित, वर्ष 2023 की शुरुआत तक महंगाई दर RBI के लक्ष्य से ऊपर रह सकती है. 

मुद्रास्फीति क्या है?

मुद्रास्फीति समय के साथ किसी मुद्रा की क्रय क्षमता में आई गिरावट को दर्शाता है. यह कीमतों के सामान्य स्तर में सतत वृद्धि को भी दर्शाता है. इसकी गणना मूल्य सूचकांकों, थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index-WPI) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index-CPI) पर की जाती है.

Bagesh Yadav
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