बांग्लादेश और म्यांमार के बीच रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी हेतु समझौता

Nov 27, 2017, 14:11 IST

समझौते के तहत म्यांमार उत्तरी राखाइन प्रांत में सामान्य स्थिति बहाल करेगा और म्यांमार गए लोगों से सुरक्षित तरीके से अपने घर लौटने या अपनी पसंद के सर्वाधिक निकटतम सुरक्षित स्थान पर लौटने के लिये प्रोत्साहित करेगा.

Rohingya issue myanmar and bangladesh sign
Rohingya issue myanmar and bangladesh sign

बांग्लादेश ने 23 नवम्बर 2017 को रोहिंग्या मुसलमानों को वापस लौटने की अनुमति देने हेतु म्यांमार के साथ एक समझौता किया है. म्यांमार की राजधानी नैपीडॉ में दोनों देशों के अधिकारियों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए. हालांकि, शरणार्थियों की सहायता के लिए काम करने वाली एजेंसियों ने रोहिंग्या शरणार्थियों को जबरदस्ती म्यांमार भेजने पर उनकी सुरक्षा पर चिंता जताई है.

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अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने एक दिन पहले ही म्यांमार सेना द्वारा अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ की जा रही कार्रवाई को ‘जातीय सफाया’ बताया था. उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका हिंसा करने वालों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है.

मुख्य तथ्य:

•    समझौते के अनुसार म्यांमार इस बात को देखने के लिये हरसंभव कदम उठाएगा कि लौटने वाले लोगों को लंबे समय तक अस्थायी स्थान पर नहीं रहना पड़े और राखाइन प्रांत में उन्हें आवाजाही की स्वतंत्रता को मौजूदा कानूनों और नियमनों के अनुरूप दी जाएगी.

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•    समझौते के तहत म्यांमार उत्तरी राखाइन प्रांत में सामान्य स्थिति बहाल करेगा और म्यांमार गए लोगों से सुरक्षित तरीके से अपने घर लौटने या अपनी पसंद के सर्वाधिक निकटतम सुरक्षित स्थान पर लौटने के लिये प्रोत्साहित करेगा.

•    संयुक्त राष्ट्र के अनुसार अगस्त से 620000 रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश चले गए थे और म्यांमार में सैन्य कार्रवाई के बाद अब दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर में रह रहे हैं.

•    म्यांमार के रखाइन राज्य में 25 अगस्त को सेना द्वारा रोहिंग्या विद्रोहियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने बाद रोहिंग्या मुसलमानों का पलायन शुरू हो गया था. इसके बाद छह लाख से ज्यादा रोहिंग्या मुसलमानों को बांग्लादेश में शरण लेनी पड़ी है.

•    संयुक्त राष्ट्र ने म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों के उत्पीड़न को ‘जातीय सफाया’ करार दिया था. वहीं, बीते महीने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने कहा था कि रोहिंग्या मुसलमानों को म्यांमार वापस लौटने से रोकने के लिए उन पर घातक हमले किए जा रहे हैं.

Jagran Josh
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Education Desk

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