केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने 24 जून 2020 को कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग का कार्यकाल छह महीने बढ़ाने का फैसला किया है. आयोग का कार्यकाल 31 जनवरी 2021 तक बढ़ाया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आयोग के कार्यकाल के विस्तार को मंजूरी दी.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि आयोग को अन्य पिछड़े वर्गों से संबंधित विभिन्न सिफारिशें करने का काम सौंपा गया था. लेकिन कोरोना वायरस प्रकोप के कारण यह काम प्रभावित हुआ है. आयोग को अन्य पिछड़े वर्गों के अंदर वर्गीकरण के मुद्दे पर गौर करने की भी जिम्मेदारी दी गयी है.
क्यों बढ़ा कार्यकाल?
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आयोग का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ा दिया क्योंकि इसका कामकाज कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण प्रभावित हुआ था. आयोग का कहना था कि उसे अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए कुछ और समय की आवश्यकता है क्योंकि ओबीसी की वर्तमान केन्द्रीय सूची में दिख रहे दोहराव, अस्पष्टताओं, विसंगतियों और अन्य गलतियों को दूर किए जाने की जरूरत है. कोविड-19 महामारी के चलते देश भर में लागू लॉकडाउन और यात्रा पर रोक के चलते आयोग मिले समय में अपना काम पूरा नहीं कर सका. इसलिए कार्यकाल में बढ़ोतरी की गई है.
आयोग का गठन
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जी. रोहिणी की अध्यक्षता वाले आयोग का अक्टूबर 2017 में गठन किया गया था. आयोग ने ओबीसी का उप-श्रेणीकरण करने वाले सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों से संवाद किया है. आयोग को मूल रूप से मार्च 2018 तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी थी.
उद्देश्य
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की वर्तमान सूची में शामिल ऐसे समुदाय जिन्हें केन्द्र सरकार के पदों पर नियुक्ति और केन्द्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में ओबीसी के लिए आरक्षण योजना का कोई खास लाभ नहीं है, उनको आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन का लाभ मिलने का अनुमान है. आयोग द्वारा ओबीसी की केन्द्रीय सूची में अभी तक हाशिये पर पड़े ऐसे समुदायों को लाभ पहुंचाने के लिए सिफारिशें किए जाने का अनुमान है.
फायदा
इससे उन जातियों/ समुदायों से संबंधित सभी लोगों फायदा होगा, जो सामाजिक एवं आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) की केन्द्रीय सूची में शामिल हैं लेकिन केन्द्र सरकार के पदों और केन्द्र सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए वर्तमान ओबीसी आरक्षण योजना का उन्हें फायदा नहीं हुआ था.
पृष्ठभूमि
2 अक्टूबर 2017 को राष्ट्रपति की स्वीकृति के साथ संविधान के अनुच्छेद 340 के अंतर्गत इस आयोग की स्थापना की गई थी. न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) जी. रोहिणी की अध्यक्षता वाले आयोग ने 11 अक्टूबर 2017 को काम शुरू कर दिया था और तब से ओबीसी का उप-श्रेणीकरण करने वाले सभी राज्यों/ संघ शासित क्षेत्रों और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोगों के साथ संवाद किया जा रहा है. आयोग ने कहा कि उसे अपनी रिपोर्ट जमा करने के लिए कुछ और समय की आवश्यकता होगी, क्योंकि वर्तमान ओबीसी की केन्द्रीय सूची में दिख रहे दोहराव, अस्पष्टताओं, विसंगतियों, भाषाई या ट्रांसक्रिप्शन से संबंधित गलतियों को दूर किए जाने की जरूरत है.
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