भारत सरकार ने 25 नवंबर, 2021 को मनरेगा योजना के लिए 10000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया है.
प्रमुख पहलू
- भारत सरकार ने फंड आवंटित करते हुए यह कहा कि, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) एक मांग आधारित योजना है.
- केंद्र सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि, वित्तीय वर्ष 2021-2022 के दौरान अब तक 240 करोड़ से अधिक व्यक्ति-दिवस निर्मित हुए हैं.
- इसके अलावा, राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इस योजना को लागू करने के लिए 68,568 करोड़ रुपये से अधिक जारी किए गए.
भारत में मनरेगा योजना के लिए बढ़ा आवंटन
केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए उक्त फंड आवंटन में पिछले वित्त वर्ष की तुलना में बजट अनुमान के अनुसार 18 प्रतिशत की वृद्धि की है. मंत्रालय ने अब तक बजट अनुमान से अधिक मनरेगा योजना के लिए 50,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि आवंटित की थी. हाल ही में, वित्त मंत्रालय ने अंतरिम उपाय के तौर पर इस योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त धनराशि आवंटित की है.
वर्ष 2021 में भारत को प्रेषण में प्राप्त हुए 87 बिलियन डॉलर
महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005
मनरेगा भारतीय श्रम कानून और सामाजिक सुरक्षा उपाय है, जिसे भारत में 'काम के अधिकार' की गारंटी के उद्देश्य से लागू किया गया है. यह अधिनियम 23 अगस्त, 2005 को प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के तहत पारित किया गया था. इस अधिनियम का उद्देश्य एक वित्तीय वर्ष में अकुशल वयस्क सदस्यों के लिए हर घर में कम से कम 100 दिनों का वेतन रोजगार पैदा करके ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका सुरक्षा को बढ़ाना है.
पृष्ठभूमि
इस अधिनियम का प्रस्ताव पी.वी. नरसिम्हा राव ने वर्ष, 1991 में प्रस्तुत किया था. इसे संसद में स्वीकार किया गया और भारत के 625 जिलों में लागू किया गया. इसके बाद 1 अप्रैल 2008 से भारत के सभी जिलों को कवर करने के लिए नरेगा का दायरा बढ़ा दिया गया.
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