भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड सेबी ने पीएसीएल लिमिटेड (पर्ल) व इसके चार डायरेक्टरों पर 2,423 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है. सेबी ने यह जुर्माना गैरकानूनी तरीके से फंड जुटाने की वजह से लागू किया. कंपनी के निदेशकों में तारोलचन सिंह, सुखदेव सिंह, गुरमीत सिंह और सुब्रत भट्टाचार्य हैं.
बाजार नियामक सेबी के निर्देशानुसार यह राशि पीएसीएल लिमिटेड को डेढ़ महीने के भीतर जमा करानी होगी. पर्ल ने अवैध योजनाओं के माध्यम से जनता से 49,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि जुटाई.
सेबी ने तीन पूर्व यह रकम सूद समेत निवेशकों को लौटाने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति इस राशि की वापसी प्रक्रिया की निगरानी कर रही है.
सेबी द्वारा यह भारी-भरकम पेनाल्टी सेबी के धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार व्यवहार रोकथाम नियम के उल्लंघन का दोषी पाए जाने पर लगाई. सेबी के अनुसार पीएसीएल से अभी तक कुछ सौ करोड़ की राशि एकत्र करने में ही सफलता मिल पाई है.
निवेशकों के हित को सर्वोपरि रखते हुए नियामक ने अवैध रूप से अर्जित लाभ के बराबर ही पेनाल्टी लगाने का फैसला किया. नियमों का उल्लंघन कर पर्ल ने 15 साल की अवधि में 49 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाए, और इस राशि पर एक साल में ही 2,423 करोड़ रुपये का मोटा मुनाफा कमाया.
नियामक ने 307 फर्मों से पाबंदी हटाई-
सेबी ने कर चोरी के लिए शेयर बाजार का दुरुपयोग करने के चलते जांच के दायरे में आई 307 कंपनियों पर लगी पाबंदी हटा ली है. हालांकि बाकी 96 कंपनियों के खिलाफ अपनी कार्यवाही जारी रहेगी. क्योंकि उन्होंने कई बार नियम-कानूनों का उल्लंघन किया.
सेबी के दो अलग-अलग आदेशों के अनुसार 307 कंपनियों की जांच में उसके नियमों के उल्लंघन का कोई सुबूत नहीं मिला. नियामक ने सबसे पहले 19 दिसंबर, 2014 को अंतरिम आदेश के जारी 152 कंपनियों के कारोबार पर प्रतिबंध लगाया. इसके बाद 11 अगस्त, 2015 को उसने कुछ कंपनियों के खिलाफ पाबंदी का अंतिरिम आदेश जारी किया.
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