प्रख्यात कवि एवं गद्यकार अजित कुमार का 84 वर्ष की अवस्था में लंबी बीमारी के बाद 18 जुलाई 2017 को नई दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया. उनकी अंतिम इच्छा के अनुसार उनके शरीर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सुपुर्द कर दिया जाएगा.
अजित कुमार के बारे में-
- अजित कुमार का जन्म उन्नाव के जमींदार परिवार में 9 जून 1933 को हुआ.
- वह दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज में हिंदी के प्राध्यापक रहे. उन्होंने कुछ समय तक कानपुर में भी अध्यापन कार्य किया.
- उनकी मां सुमित्रा कुमारी सिन्हा, और पत्नी स्नेहमयी चौधरी भी प्रसिद्ध कवयित्री थीं.
- हिंदी साहित्य जगत के प्रमुख हस्ताक्षर अजित कुमार तारसप्तक मंडल के प्रमुख सदस्यों में गिने जाते थे.
- वह हरिवंश राय बच्चन के मित्र थे. हरिवंश राय बच्चन के संबंध में उन्होंने महत्वपूर्ण संस्मरण लिखा है और उनके पत्रों का भी प्रकाशन किया.
- उन्होंने देवीशंकर अवस्थी के साथ 'कविताएं 1954' का संपादन किया.
- वर्ष 1958 में अजित कुमार का पहला कविता संग्रह 'अकेले कंठ की पुकार' प्रकाशित हुआ.
- 'अंकित होने दो', 'ये फूल नहीं', 'घरौंदा', 'हिरनी के लिए', 'घोंघे' और 'ऊसर' उनके चर्चित कविता संग्रह हैं.
- हाल ही में उनकी किताब 'गुरुवर बच्चन से दूर' छप कर आई है.
चर्चित कृतियां-
उपन्यास 'दूरिया', कहानी-संग्रह 'छाता और चारपाई' तथा 'राहुल के जूते', संस्मरण और यात्रा-वृत्त 'दूर वन में', 'सफरी झोले में', 'निकट मन में', 'यहां से कहीं भी', 'अंधेरे में जुगनू', 'जिनके संग जिया', आलोचना 'इधर की हिंदी कविता', 'कविता का जीवित संसार' और 'कविवर बच्चन के साथ'. नौ खंडों में 'बच्चन रचनावली', 'सुमित्रा कुमारी सिन्हा रचनावली', 'बच्चन निकट से', 'बच्चन के चुने हुए पत्र', 'हिंदी की प्रतिनिधि श्रेष्ठ कविताएं' समेत अनेक पुस्तकें उनके संपादन में प्रकाशित हुई.
युवाओं के मध्य लोकप्रिय हिंदी के साहित्यिक परिदृश्य को अपनी गरिमामय उपस्थिति से जीवंत रखने वाले साहित्यकार अजित कुमार ने छह दशक तक अपनी साहित्यिक सक्रियता से हिंदी को समृद्ध किया. अजित कुमार को साहित्य और काव्य से प्रेम विरासत में मिला.
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