मगही भाषा के प्रसिद्ध साहित्यकार शेष आनंद मधुकर को 1 फरवरी 2018 को साहित्य अकादमी के भाषा सम्मान से सम्मानित किया गया. आनंद मधुकर को वर्ष 2016 के लिए यह पुरस्कार दिया गया.
यह सम्मान साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी द्वारा प्रदान किया गया. भाषा सम्मान स्वरूप उन्हें एक स्मृतिफलक, अंगवस्त्रम एवं एक लाख रुपए की धनराशि प्रदान की गई.
शेष आनंद मधुकर
• शेष आनंद मधुकर का जन्म बिहार के ग्राम दरियापुर, थाना टिकारी, गया (बिहार) में 8 दिसंबर 1939 को हुआ था.
• उन्होंने वर्ष 1960 में साहित्य क्षेत्र में कदम रखा एवं उस समय से वे इस क्षेत्र में कार्यरत हैं.
• उनकी कविताएं हिंदी की प्रसिद्ध पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं.
• शेष आनंद मधुकर ने मगही भाषा के विकास हेतु व्यापक कार्य किए हैं.
• उनकी मगही और हिंदी में पांच से ज्यादा पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं.
• शेष आनंद मधुकर ने मगही भाषा में विभिन्न विधाओं में अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं हैं.
• उनकी प्रसिद्ध हिंदी रचनाओं में एकलव्य, मगही कविता के बिम्ब तथा भगवान बिरसा शामिल हैं.
भाषा सम्मान
यह उन भाषाओं में साहित्यिक कार्यों को सम्मान डेटा है जो देश के विभिन्न हिस्सों में समान रूप से बोली जाती हैं. यह सम्मान साहित्य अकादमी पुरस्कारों के लिए मान्यता प्राप्त 24 क्षेत्रीय भाषाओं में से नहीं दिया जाता. यह सम्मान अन्य भाषाओँ के महत्व को दर्शाने तथा उन भाषाओँ के लेखकों को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से दिया जाता है. इसमें पुरस्कार स्वरुप एक लाख रुपये तथा स्मृतिफलक दिया जाता है.
मगही भाषा
मगही अथवा मगधी भाषा भारत के मध्य पूर्व में बोली जाने वाली एक प्रमुख भाषा है. इसका निकट संबंध भोजपुरी और मैथिली भाषा से है और अक्सर ये भाषाएँ एक ही साथ बिहारी भाषा के रूप में पहचानी जाती हैं. इसे देवनागरी लिपि में लिखा जाता है. मगही बोलनेवालों की संख्या वर्ष 2002 में लगभग 1 करोड़ 30 लाख आंकी गयी थी. यह मुख्य रूप से यह बिहार के गया, पटना, राजगीर, नालंदा, जहानाबाद, अरवल, नवादा और औरंगाबाद के इलाकों में बोली जाती है.
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