अब RTI के दायरे में आएगा भारत के चीफ जस्टिस का ऑफिस: सुप्रीम कोर्ट

Nov 13, 2019, 16:51 IST

इसपर फैसला सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने सुनाया है. इसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के साथ, जस्टिस डिवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एनवी रामना, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपक गुप्ता शामिल हैं.

Supreme Court
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सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने 13 नवंबर 2019 को बड़ा फैसला सुनाया. अब भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) का ऑफिस भी सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत आयेगा. हालांकि, कोर्ट ने इसमें कुछ नियम भी जारी किए हैं.

इसपर फैसला सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने सुनाया है. इसमें सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के साथ, जस्टिस डिवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एनवी रामना, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपक गुप्ता शामिल हैं.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला न्यायिक व्यवस्था में पारदर्शिता लाने के सवाल पर दिया. हालांकि इसमें निजता और गोपनीयता का हवाला देकर कुछ शर्तें जोड़ी गई हैं. फैसले में कहा गया है कि सीजेआई ऑफिस एक पब्लिक अथॉरिटी है, इसके तहत ये आरटीआई के तहत आएगा. हालांकि, इस दौरान कार्यालय की गोपनीयता बरकरार रहेगी.

इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के आर्टिकल 124 के अंतर्गत लिया है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के द्वारा दिए गए फैसले को बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब कोलेजियम के फैसलों को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर डाला जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरटीआई के तहत जवाबदारी से पारदर्शिता और बढ़ेगी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस संजीव खन्ना के द्वारा लिखे फैसले पर मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस दीपक गुप्ता ने सहमति जताई. हालांकि, जस्टिस रमन्ना तथा जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कुछ विषयों पर अपनी अलग राय व्यक्त की.

दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा दिया गया फैसला

अपने एक फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट और उसके मुख्य न्यायाधीश का दफ्तर आरटीआई एक्ट के दायरे में आते हैं. इसलिए उन्हें अपनी संपत्ति आदि का ब्यौरा सार्वजनिक करना चाहिए. दिल्ली हाईकोर्ट के इसी फैसले के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी.

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पृष्ठभूमि

आरटीआई के कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने साल 2007 में आरटीआई डालकर जजों की संपत्ति का ब्यौरा मांगा था. जब इस मामले पर सूचना देने से मना कर दिया गया तो ये मामला केंद्रीय सूचना आयुक्त (सीआईसी) के पास पहुंचा. सीआईसी ने सूचना देने के लिए कहा.

इसके बाद इस मामले को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. दिल्ली हाईकोर्ट ने 10 जनवरी 2010 को एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय आरटीआई कानून के दायरे में आता है. सुप्रीम कोर्ट के जनरल सेक्रेटरी और सुप्रीम कोर्ट के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ साल 2010 में सुप्रीम कोर्ट चले गये. अप्रैल 2019 में सुप्रीम कोर्ट में इसपर सुनवाई हुई और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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