सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल 2018 को राष्ट्रीय हरित न्यायाधीकरण (एनजीटी) के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें अमरनाथ गुफा को साइलेंस ज़ोन घोषित किया गया था.
जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने एनजीटी के फैसले के खिलाफ अमरनाथ श्राइन बोर्ड की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई की. पीठ ने इसके साथ ही एनजीटी की ओर से 13 दिसंबर को दिए फैसले पर रोक लगा दी.
पीठ ने याचिकाकर्ता और पर्यावरण कार्यकर्ता गौरी मुलेखी को भी अमरनाथ मामले में नए सिरे से याचिका दायर करने का निर्देश दिया.
पृष्ठभूमि
• एनजीटी ने 13 दिसंबर 2017 को फैसला देते हुए अमरनाथ गुफा को साइलेंस जोन घोषित कर दिया.
• साथ ही एक सीमा के बाद धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगा दी, ताकि इलाके में हिमस्खलन को रोका जा सके.
• एनजीटी के आदेशनुसार कोई भी व्यक्ति अमरनाथ गुफा तक कुछ भी नहीं ले जा सकता. प्रत्येक व्यक्ति की जांच के बाद ही उसे पवित्र गुफा तक जाने की अनुमति दी जाएगी.
• इसके बाद एनजीटी ने स्पष्ट किया कि गुफा को साइलेंस जोन घोषित नहीं किया गया है बल्कि प्राकृतिक शिवलिंग के समक्ष ध्वनि पर रोक लगाई गई है.
• एनजीटी ने आदेश जारी करते हुए माता वैष्णो देवी में एक दिन में सिर्फ 50 हजार यात्री ही दर्शन करने के निर्देश दिए थे.
• एनजीटी के आदेश के खिलाफ वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने उच्चतम न्यालय का दरवाजा खटखटाया था जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश पर रोक लगा दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने वैष्णो देवी मंदिर में प्रतिबंधित घोड़ों और पोन्नी के लिए पुनर्वास योजना तैयार नहीं करने पर एनजीटी की ओर से जम्मू-कश्मीर सरकार पर लगाए 50 लाख के जुर्माने पर भी रोक लगा दी.
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