टाटा स्टील ने वर्ष 2020 तक अपने एंप्लॉयीज में महिलाओं की हिस्सेदारी 20 पर्सेंट करने का लक्ष्य रखा है. टाटा स्टील देश की बड़ी स्टील कम्पनी है. कंपनी की चीफ डायवर्सिटी ऑफिसर और चीफ ग्रुप एचआर, अत्रायी एस सान्याल के अनुसार जेंडर डायवर्सिटी से चुनौतियों से निपटने हेतु अलग-अलग आइडिया आते हैं.
'जेंडर डायवर्सिटी न होने से बिजनेस को नुकसान हो सकता है. भविष्य में टाटा कंपनी बड़े पैमाने पर महिलाओं को रिक्रूट करने की योजना बना रही है. समान अवसर देने वाले एंप्लॉयर के तौर पर टाटा स्टील का मानना है कि महिलाएं किसी भी कार्य को पुरुषों के समान कुशलता के साथ कर सकती हैं.
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मैन्युफैक्चरिंग, माइनिंग और इंजीनियरिंग में कार्यों हेतु आवश्यक कुशल टैलेंटेड महिलाओं की संख्या बढ़ रही है. 'इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट्स को अधिक महिलाओं को लेना होगा और तभी कंपनियां इन एरिया में महिलाओं को रिक्रूट कर पाएंगी. टाटा कम्पनी इंस्टीट्यूट्स के साथ शुरुआत से जुड़ती है जिससे इंजीनियरिंग की पढ़ाई के शुरुआती वर्षो में अच्छी प्रतिभा रखने वाली महिलाओं को चुनने में मदद मिलती है.
प्रमुख तथ्य-
- डायवर्स वर्कफोर्स से बेहतर स्ट्रैटेजी बनाने में भी मदद मिलती है.
- टाटा स्टील का लक्ष्य वर्ष 2020 तक वर्कफोर्स में महिलाओं की संख्या 20 पर्सेंट करना है.
- वर्तमान में कम्पनी के कुल एंप्लॉयीज में महिलाओं की संख्या 11 पर्सेंट है.
टाटा स्टील कंपनी के अनुसार महिलाओं के लिए विशेष भूमिकाएं या स्तर तय नहीं किए हैं. हम कंपनी की सभी डिवीजन में महिलाओं को रोजगार देना चाहते हैं. वर्कप्लेस डायवर्सिटी से बेस्ट टैलेंट को हासिल करने और बरकरार रखने में मदद मिलती है. इससे कंपनी की साख भी मजबूत होती है.
लंबे समय तक मैटरनिटी लीव पर जाने वाली महिलाओं से जुड़ी चुनौतियों को दूर करने हेतु पॉलिसी से जुड़े उपाय करने की जरूरत है. कम्पनी की हाल की टेक 2 पॉलिसी का मकसद मैटरनिटी और बच्चे की देखभाल की वजह से नौकरी छोड़ने वाली महिलाओं की मुश्किल को दूर करना है.
इस पॉलिसी के तहत अनुभवी महिलाओं को प्रोजेक्ट के आधार पर कम समय के लिए हायर किया जाता है. इससे एक महिला के लिए रिप्लेसमेंट का अच्छा सोर्स मिलता है. इससे ऐसी महिलाओं को अपना करियर दोबारा शुरू करने हेतु एक माध्यम उपलब्ध होता है.
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