LPU में ‘टाईम कैप्सूल’ को अगले 100 वर्षों के लिए जमीन में दबाया गया

Jan 7, 2019, 08:45 IST

इस टाईम कैप्सूल में 100 ऐसी वस्तुओं को शामिल किया गया है, जो भारत में अनुभव की जाने वाली आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रतिनिधित्व करते हैं.

Time Capsule Locked Underground for Future Generations to Find
Time Capsule Locked Underground for Future Generations to Find

लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU), जालंधर में आयोजित 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में इज़राइल के नोबल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक एवराम हेर्शको और अमेरिका के वैज्ञानिक एफ. डंकन एम. हॉल्डाने द्वारा 04 जनवरी 2019 को वर्तमान टेक्नोलॉजी और भारत के वैज्ञानिक कौशल का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुओं के साथ एक टाईम कैप्सूल को जमीन में दबाया गया.

इस टाईम कैप्सूल में 100 ऐसी वस्तुओं को शामिल किया गया है, जो भारत में अनुभव की जाने वाली आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रतिनिधित्व करते हैं. यह कैप्सूल धरती में 100 वर्ष तक दबा रहेगा. इसका उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों को वर्तमान की तकनीक के बारे में अवगत कराना है.

 

टाईम कैप्सूल में क्या है?

  • इस टाईम कैप्सूल में 100 ऐसी वस्तुओं को शामिल किया गया है, जो भारत में अनुभव की जाने वाली आधुनिक प्रौद्योगिकी का प्रतिनिधित्व करते हैं.
  • भारत के वैज्ञानिक कौशल का प्रतिनिधित्व करने वाले मंगलयान, ब्रह्मोस मिसाइल और तेजस लड़ाकू जेट की प्रतिकृतियों के अलावा, इस कैप्सूल में लैपटॉप, लेंडलाईन फोन, स्मार्ट फोन, ड्रोन, वीआर ग्लास, स्टॉपवाच, अमेजन अलैक्सा आदि शामिल हैं.
  • इसमें एयरफिल्टर, इंडक्शन कूकटॉप, एयर फ्रायर आदि जैसी उपभोक्ता सामग्रियां भी शामिल हैं, जो हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा हैं.
  • संरक्षित किए गए कुछ अन्य उत्पादों में सोलर पैनल, नवीनतम डॉक्यूमेंट्रियों और फिल्मों सहित हार्डडिस्क, 12वीं कक्षा के छात्रों के अध्यापन में इस्तेमाल होने वाली मौजूदा विज्ञान की पुस्तकों तथा एक दर्पण रहित कैमरा शामिल हैं.

 

LPU science congress


टाईम कैप्सूल का उद्देश्य

•    लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों के छात्रों द्वारा तैयार किए गए कैप्सूल को दस फुट नीचे जमीन में दबाया गया है जो अगले 100 वर्षों के लिए जमीन के नीचे ही रहेगा.

•    यहां एक पट्टिका भी लगाई गई है, जिसमें यह लिखा गया है कि इस टाईम कैप्सूल को 3 जनवरी, 2119 को खोला जाएगा.

•    इस टाईम कैप्सूल को प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी का प्रतिनिधित्व करने के लिए विकसित किया गया है, क्योंकि आज यह अस्तित्व में है तथा भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक अवसर उपलब्ध कराएगा और 100 साल के बाद आज की प्रौद्योगिकी की झांकी दिखाएगा.

भारत के पिछले टाईम कैप्सूल

•    इंदिरा गांधी सरकार स्वतंत्रता की 25वीं वर्षगांठ को यादगार तरीके से मनाना चाहती थी. इसके लिए 15 अगस्त, 1973 को लाल किला परिसर में एक टाइम कैप्सूल जमीन में दबाया गया. इसमें भारत की स्वतंत्रता सम्बन्धी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ एवं ऐतिहासिक तथ्य शामिल थे.

•    वर्ष 2010 में गुजरात सरकार ने गांधीनगर में बनने वाले महात्मा मंदिर की नींव में एक टाइम कैप्सूल दफन करवाया था. तीन फुट लंबे और ढाई फुट चौड़े इस स्टील सिलेंडर में कुछ लिखित सामग्री और डिजिटल कंटेट रखा गया था.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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