लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU), जालंधर में आयोजित 106वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में इज़राइल के नोबल पुरस्कार से सम्मानित वैज्ञानिक एवराम हेर्शको और अमेरिका के वैज्ञानिक एफ. डंकन एम. हॉल्डाने द्वारा 04 जनवरी 2019 को वर्तमान टेक्नोलॉजी और भारत के वैज्ञानिक कौशल का प्रतिनिधित्व करने वाली वस्तुओं के साथ एक टाईम कैप्सूल को जमीन में दबाया गया.
इस टाईम कैप्सूल में 100 ऐसी वस्तुओं को शामिल किया गया है, जो भारत में अनुभव की जाने वाली आधुनिक टेक्नोलॉजी का प्रतिनिधित्व करते हैं. यह कैप्सूल धरती में 100 वर्ष तक दबा रहेगा. इसका उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों को वर्तमान की तकनीक के बारे में अवगत कराना है.
टाईम कैप्सूल में क्या है? |
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टाईम कैप्सूल का उद्देश्य
• लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों के छात्रों द्वारा तैयार किए गए कैप्सूल को दस फुट नीचे जमीन में दबाया गया है जो अगले 100 वर्षों के लिए जमीन के नीचे ही रहेगा.
• यहां एक पट्टिका भी लगाई गई है, जिसमें यह लिखा गया है कि इस टाईम कैप्सूल को 3 जनवरी, 2119 को खोला जाएगा.
• इस टाईम कैप्सूल को प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी का प्रतिनिधित्व करने के लिए विकसित किया गया है, क्योंकि आज यह अस्तित्व में है तथा भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक अवसर उपलब्ध कराएगा और 100 साल के बाद आज की प्रौद्योगिकी की झांकी दिखाएगा.
भारत के पिछले टाईम कैप्सूल
• इंदिरा गांधी सरकार स्वतंत्रता की 25वीं वर्षगांठ को यादगार तरीके से मनाना चाहती थी. इसके लिए 15 अगस्त, 1973 को लाल किला परिसर में एक टाइम कैप्सूल जमीन में दबाया गया. इसमें भारत की स्वतंत्रता सम्बन्धी महत्वपूर्ण दस्तावेज़ एवं ऐतिहासिक तथ्य शामिल थे.
• वर्ष 2010 में गुजरात सरकार ने गांधीनगर में बनने वाले महात्मा मंदिर की नींव में एक टाइम कैप्सूल दफन करवाया था. तीन फुट लंबे और ढाई फुट चौड़े इस स्टील सिलेंडर में कुछ लिखित सामग्री और डिजिटल कंटेट रखा गया था.
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