टॉप कैबिनेट मंजूरी: 03 जनवरी
कैबिनेट ने अरुणाचल प्रदेश के अनुसूचित जाति की सूची में संशोधन विधेयक को मंजूरी दी
• केंद्रीय कैबिनेट ने अरुणाचल प्रदेश के अनुसूचित जाति की सूची में संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी. विधेयक में राज्य की एसटी सूची से अबोर अनुसूचित जनजाति को हटाने का प्रस्ताव रखा है. ऐसा इसलिए क्योंकि अबोर, अदि अनुसूचित जनजातियों की तरह ही हैं.
• वहीं खम्पति नाम की कोई भी अनुसूचित जनजाति न होने के कारण विधेयक में संशोधित कर उन्हें ताई खम्ती कर दिया गया है. विधेयक में मांग की गई है कि सूची में मिश्मी-कमान (मीजू मिश्मी), इडु (मिश्मी) और तरावन (डिगरु मिश्मी) अनुसूचित जनजातियों को शामिल किया जाए.
• इसके साथ ही मोम्बा की जगह पर मोन्पा, मेम्बा, सतरंग, सजोलंग अनुसूचित जनजाति को शामिल करने का भी प्रस्ताव है. नोक्टे, टंगसा, टुटसा और वांगचो अनुसूचित जनजातियों की जगह राज्य की एसटी सूची में ‘कोई नागा अनुसूचित जनजाति’ का इस्तेमाल होगा.
मंत्रिमंडल को साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में भारत और मोरक्को के बीच सहयोग के लिए समझौता-दस्तावेज के बारे में अवगत कराया गया
• केंद्रीय मंत्रिमंडल को साइबर सुऱक्षा के क्षेत्र में भारत और मोरक्को के बीच सहयोग के लिए समझौता-दस्तावेज के बारे में अवगत कराया गया. समझैता-दस्वावेज पर 25 सिंतबर 2018 को हस्ताक्षर किये गये थे.
• समझौता-दस्तावेज का उद्देश्य भारत और मोरक्को के बीच सुरक्षा संबंधी घटनाओं की पहचान, हल और रोकथाम में अनुभव तथा ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए नजदीकी सहयोग को प्रोत्साहित करना है. समझौता-दस्तावेज को लागू करने के परिणामस्वरूप साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में मोरक्को के साथ संस्थागत तथा क्षमता निर्माण के जरिए महत्वपूर्ण पारस्परिक लाभ प्राप्त होंगे.
मंत्रिमंडल ने ट्रेड यूनियन अधिनियम, 1926 में संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी
• केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ट्रेड यूनियन अधिनियम, 1926 में संशोधन करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी. इसके पीछे उद्देश्य ट्रेड यूनियनों को मान्यता देने के लिए प्रावधान बनाना है. मौजूदा कानून के तहत सिर्फ ट्रेड यूनियनों के पंजीकरण का प्रावधान किया गया है. अभी इस कानून में ट्रेड यूनियनों को मान्यता देने का कोई प्रावधान नहीं है.
• हालांकि, 1958 में बनाई गई ‘अनुशासन संहिता’ के दिशानिर्देशों के तहत ट्रेड यूनियनों की मान्यता का परिचालन किया जाता है. इसे नियोक्ताओं और कर्मचारियों दोनों ने स्वैच्छिक रूप से स्वीकार किया है. किसी ट्रेड यूनियन की मान्यता इसलिए जरूरी हो जाती है क्योंकि उद्योग या किसी प्रतिष्ठान की ऐसी यूनियन के पास नियोक्ताओं से बातचीत का अधिकार होता है.
• इन संशोधनों से केंद्र और राज्य स्तरीय ट्रेड यूनियनों की मान्यता में मदद मिलेगी. साथ ही इससे त्रिपक्षीय निकायों में कामगारों का सही प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो सकेगा, सरकार द्वारा मनमाने तरीके से कर्मचारियों के प्रतिनिधि के मनोनयन पर रोक लगेगी और साथ ही मुकदमेबाजी और औद्योगिक तनाव को कम किया जा सकेगा.
मंत्रिमंडल ने पोलैंड जलवायु सम्मेलन में भारत के समझौते को पिछली तारीख से स्वीकृति दी
• केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पोलैंड में दिसंबर में हुए जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में भारत के समझौते को पिछली तारीख को स्वीकृति दे दी. यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कनवेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) के बारे में 24वीं कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी) पोलैंड में 02 दिसंबर से 15 दिसंबर तक कातोविस में हुई थी.
• सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री हर्षवर्धन ने किया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के समझौते को पिछली तारीख से स्वीकृति दे दी गई.
• भारत ने पेरिस समझौते के बारे में अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया और सामूहिक रूप से पेरिस समझौता लागू करने के लिए अपने वायदों को शामिल करते हुए सीओपी-24 के दौरान अपने नेतृत्व के बारे में प्रकाश डाला. भारत का दृष्टिकोण यूएनएफसीसीसी के सिद्धांतों और प्रावधानों से निर्देशित था. इसमें इक्विटी और सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमता के सिद्धांतों (सीबीपीआर-आरसी) पर विशेष रूप से ध्यान दिया गया.
मंत्रिमंडल ने 2017-2018 से 2019-2020 की अवधि के लिए राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम योजना को जारी रखने की मंजूरी दी
• केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2017-2018 से 2019-2020 की अवधि के लिए राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम योजना को जारी रखने की मंजूरी दे दी है. ईएफसी के अनुमोदन के अनुरूप इसके लिए 1160 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया गया है. योजना का उद्देश्य युवाओं में व्यक्तित्व और नेतृत्व गुणों का विकास करना तथा युवाओं को राष्ट्र निर्माण गतिविधियों में संलग्न करना है.
• 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के परामर्श से योजना को युक्तिसंगत बनाने की प्रक्रिया चलाई गयी. इसके तहत 8 योजनाओं को उप-योजनाओं के रूप में राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम के अधीन कर दिया गया है. इसके कारण योजनाओं के बीच बेहतर तालमेल बनाने में मदद मिली. इसके अलावा योजनाओं की कुशलता में सुधार आया और उपलब्ध संसाधनों के आधार पर बेहतर नतीजे प्राप्त हुए.
• योजना के लाभार्थियों में 15-29 वर्ष आयु समूह के युवा शामिल हैं जो राष्ट्रीय युवा नीति, 2014 में ‘युवा’ की परिभाषा के अनुरूप है. विशेष रूप से किशोरों से संबंधित कार्यक्रम के घटकों के मामले में आयु समूह 10-19 वर्ष है. राष्ट्रीय युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम योजना, युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय द्वारा संचालित केन्द्रीय क्षेत्रीय योजना है और यह 12वीं पंचवर्षीय योजना के समय से चल रही है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड को भूमि के आवंटन के प्रस्ताव को मंजूरी दी
• केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चंडीगढ़ प्रशासन के 3930 कर्मियों के लिए स्ववित्त पोषित आवास योजना के अंतर्गत आवास निर्माण के लिए चंडीगढ़ आवास बोर्ड को जमीन आवंटन के प्रस्ताव को मंजूरी दी. अपने कर्मचारियों के लिए चंडीगढ़ प्रशासन ने स्व वित्त पोषित आवास योजना-2008 को मंजूरी दी.
• केन्द्र शासित प्रदेश के कर्मचारियों के 3930 आवासों के निर्माण के लिए कुल 73.3 एकड़ भूमि को चिन्ह्त किया गया. इसमें से 11.8 एकड़ भूमि चंडीगढ़ प्रशासन के कब्जे में है. उक्त प्रस्ताव में 61.5 एकड़ सरकारी भूमि को चंडीगढ़ आवास बोर्ड को आवंटित करने का उल्लेख है.
• इस योजना को लागू करने के लिए चंडीगढ़ आवास बोर्ड को नोडल एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया. इसके पश्चात चंडीगढ़ आवास बोर्ड ने 2008 में चंडीगढ़ प्रशासन के कर्मचारियों को 99 वर्षों की लीजहोल्ड आधार पर ‘स्व वित्त पोषित आवास योजना’ से संबंधित विज्ञापन जारी किये.
• चंडीगढ़ प्रशासन या इसके बोर्ड / निगम और पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट या चंडीगढ़ प्रशासन में प्रतिनियुक्त विभिन्न श्रेणियों के कर्मचारियों की मांग को देखते हुए चंडीगढ़ आवास बोर्ड ने 2008 में स्व वित्त पोषित आवास योजना-2008 का प्रस्ताव रखा था.
कैबिनेट ने वाणिज्यिक निर्यातकों को ‘ढुलाई पूर्व एवं उपरांत रुपया निर्यात ऋण हेतु ब्याज समकरण योजना’ में शामिल करने को मंजूरी दी
• आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने वाणिज्यिक निर्यातकों को ‘ढुलाई पूर्व एवं उपरांत रुपया निर्यात ऋण के लिए ब्याज समकरण योजना (आईईएस)’में शामिल करने संबंधी वाणिज्य विभाग के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है.
• इसके तहत वाणिज्यिक निर्यातकों को इस योजना में चिन्हित 416 टैरिफ लाइनों के दायरे में आने वाले उत्पादों के निर्यात के लिए इस तरह के ऋण पर 3 प्रतिशत की ब्याज समकरण दर की अनुमति दी गई है. इन उत्पाद का वास्ता मुख्यतः एमएसएमई/श्रम बहुल क्षेत्रों जैसे कि कृषि, वस्त्र, चमड़ा, हस्तशिल्प, मशीनरी इत्यादि से है. इस प्रस्ताव से योजना की शेष अवधि में निर्यातकों को ब्याज समकरण पर लगभग 600 करोड़ रुपये का लाभ होगा.
• इस योजना में वाणिज्यिक निर्यातकों को शामिल करने से इन निर्यातकों के और भी ज्यादा प्रतिस्पर्धी हो जाने की आशा है, जिससे वे एमएसएमई द्वारा उत्पादित किए जाने वाले और भी ज्यादा उत्पादों का निर्यात करने के लिए प्रोत्साहित होंगे. इससे भारत से किए जाने वाले निर्यात में वृद्धि होगी. वाणिज्यिक निर्यातकों द्वारा किए जाने वाले अतिरिक्त निर्यात से सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) द्वारा किए जाने वाले उत्पादन में वृद्धि होगी, जिससे रोजगार सृजन में बढ़ोतरी होगी.
• वर्तमान योजना 01 अप्रैल 2015 से ही 5 वर्षों के लिए अमल में लाई जा रही है. इस योजना में 4 अंकों वाली चिन्हित 416 टैरिफ लाइनों का निर्यात करने वाले समस्त विनिर्माता निर्यातकों के लिए ढुलाई पूर्व एवं ढुलाई उपरांत रुपया ऋणों पर 3 प्रतिशत की ब्याज समकरण दर और एमएसएमई द्वारा उत्पादन एवं निर्यात किए जाने वाले सभी वाणिज्यिक उत्पादों पर 5 प्रतिशत की ब्याज समकरण दर का प्रावधान किया गया है. वाणिज्यिक निर्यातकों को अब तक इस योजना के दायरे में नहीं लाया गया था.
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