पाकिस्तान लगातार तीसरे साल भी फाइनेंशियल टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट से बाहर नहीं आ सका है. पाकिस्तान की सभी कोशिशों के बावजूद वह एफएटीएफ की ग्रे सूची से बाहर नहीं निकल पा रहा है. इस मामले में एक बार फिर उसे वैश्विक संस्था से झटका लगा है.
एफएटीएफ ने पाकिस्तान को अपनी ग्रे सूची में बरकरार रखा है. इतना ही नहीं, इस बार उसके दोस्त तुर्की को भी झटका लगा है. एफएटीएफ ने तुर्की को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद के वित्तपोषण से निपटने में कमियों के लिए 'ग्रे लस्टि' में शामिल किया.
तुर्की के अतिरिक्त, जॉर्डन और माली को भी ग्रे सूची में जोड़ा गया है, जबकि बोत्सवाना और मॉरीशस को सूची से हटा दिया गया है. पाकिस्तान और तुर्की के खिलाफ इस ऐक्शन से भारत को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है जो आतंकी हमलों से जूझ रहा है.
पाकिस्तान एफएटीएफ की निगरानी सूची में शामिल
पाकिस्तान को जून 2018 में एफएटीएफ ने निगरानी सूची में रखा था. उसे अक्टूबर 2019 तक पूरा करने के लिये कार्य योजना सौंपी गयी थी. लेकिन उसे पूरा करने में विफल रहने के कारण वह एफएटीएफ की निगरानी सूची में बना हुआ है. तुर्की पर आरोप है कि वह मनी लॉन्ड्रिंग को बढ़ावा दे रहा है और आतंकियों का वित्तपोषण कर रहा है.
पाकिस्तान को अक्टूबर 2018, 2019, 2020 और अप्रैल 2021 में हुए रिव्यू में भी राहत नहीं मिली थी. पाकिस्तान एफएटीएफ की सिफारिशों पर काम करने में विफल रहा है. इस दौरान पाकिस्तान में आतंकी संगठनों को विदेशों से और घरेलू स्तर पर आर्थिक मदद मिली है.
तुर्की पर भी गंभीर आरोप
FATF ने कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देने वाले तुर्की को भी ग्रे लिस्ट में रखा है. तुर्की पर आरोप है कि उसने टेरर फाइनेंसिंग पर नजर रखने और कार्रवाई करने में लापरवाही की. उस पर साल 2019 से ही नजर रखी जा रही थी.
ग्रे लिस्ट क्या है और इससे होने वाले नुकसान
ग्रे लिस्ट में उन देशों को रखा जाता है, जिन पर टेरर फाइनेंसिंग और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल होने या इनकी अनदेखी का शक होता है. इन देशों को कार्रवाई करने की सशर्त मोहलत दी जाती है. इसकी मॉनिटरिंग की जाती है. कुल मिलाकर आप इसे ‘वॉर्निंग विद मॉनिटरिंग’ कह सकते हैं.
फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) एक अंतर-सरकारी निकाय है जिसे फ्रांस की राजधानी पेरिस में जी7 समूह के देशों द्वारा साल 1989 में स्थापित किया गया था. इसका काम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग), सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार और आतंकवाद के वित्तपोषण पर निगाह रखना है. इसके अतिरिक्त एफएटीएफ वित्त विषय पर कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा भी देता है.
ग्रे लिस्ट वाले देशों को किसी भी इंटरनेशनल मॉनेटरी बॉडी या देश से कर्ज लेने के पहले बेहद सख्त शर्तों को पूरा करना पड़ता है. ज्यादातर संस्थाएं कर्ज देने में आनाकानी करती हैं. ट्रेड में भी दिक्कत होती है.
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