संयुक्त राष्ट्र श्रम संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2017 और वर्ष 2018 के बीच भारत में बेरोजगारी में मामूली इजाफा हो सकता है.
संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) ने वर्ष 2017 में वैश्विक रोजगार एवं सामाजिक दृष्टिकोण पर 12 जनवरी 2017 को अपनी रिपोर्ट जारी की.
रिपोर्ट के मुताबिक रोजगार जरूरतों के कारण आर्थिक विकास पिछड़ता प्रतीत हो रहा है. इसमें पूरे वर्ष 2017 के दौरान बेरोजगारी बढ़ने एवं सामाजिक असामनता की स्थिति के और बिगड़ने की आशंका जताई गई है.
भारत में वर्ष 2017 और वर्ष 2018 में रोजगार सृजन की गतिविधियों के गति पकड़ने की संभावना नहीं है क्योंकि इस दौरान धीरे-धीरे बेरोजगारी बढ़ेगी और प्रतिशत के संदर्भ में इसमें गतिहीनता दिखाई देगी.
रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में 1.77 करोड़ बेरोजगारों की तुलना में 2017 में भारत में बेरोजगारों की संख्या 1.78 करोड़ और उसके अगले वर्ष 1.8 करोड़ हो सकती है. प्रतिशत के संदर्भ में 2017-18 में बेरोजगारी दर 3.4 प्रतिशत बनी रहेगी.
भारत का प्रदर्शन वर्ष 2016 में रोजगार सृजन के संदर्भ में थोड़ा अच्छा था. रिपोर्ट में यह भी स्वीकार किया गया कि वर्ष 2016 में भारत की 7.6 प्रतिशत की वृद्धि दर ने पिछले वर्ष दक्षिण एशिया के लिए 6.8 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने में मदद की है.
दक्षिण एशिया एवं उप-सहारा अफ्रीका में और अधिक गिरावट आने का खतरा है. इसके अतिरिक्त विकसित देशों में बेरोजगारी में भी गिरावट आने की संभावना है और यह दर 2016 के 6.3 प्रतिशत से घटकर 6.2 प्रतिशत तक हो जाने की संभावना है.
रिपोर्ट के मुताबिक विनिर्माण विकास ने भारत के हालिया आर्थिक प्रदर्शन को आधार मुहैया कराया है, जो क्षेत्र के जिंस निर्यातकों के लिए अतिरिक्त मांग बढ़ाने में मदद कर सकता है.
वैश्विक बेरोजगारी दर उच्चे बने रह सकते हैं क्योंकि वैश्विक श्रम बल में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. विशेषकर वैश्विक बेरोजगारी दर में 2016 के 5.7 प्रतिशत की तुलना में 2017 में 5.8 प्रतिशत की मामूली बढ़त की संभावना है.
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