प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 12 जुलाई 2017 को मंत्रिमंडल की हुई बैठक में वाराणसी में राष्ट्रीय बीज अनुसंधान और प्रशिक्षण केन्द्र (एनएसआरटीसी) परिसर में अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केन्द्र (आईएसएआरसी) स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी.
इससे संबंधित मुख्य तथ्य:
• इसके तहत वाराणसी में चावल में मूल्य संवर्द्धन के लिए एक उत्कृष्टता केन्द्र स्थापित किये जाने का प्रस्ताव है.
• इसमें एक आधुनिक प्रयोगशाला भी होगी जिसमें चावल और पुआल में भारी घातुओं की गुणवत्ता और स्तर का पता लगाने की क्षमता होगी.
• यह केन्द्र चावल के विभिन्न उत्पादों की श्रृंखला को सशक्त बनाने के लिए हितधारकों के क्षमता विकास केन्द्र के रूप में भी कार्य करेगा.
• पूर्वी भारत में यह पहला अंतरराष्ट्रीय केन्द्र होगा जो इस क्षेत्र में सतत चावल उत्पादन और कौशल विकास के क्षेत्र में वरदान साबित होगा.
• इसके साथ ही दक्षिण एशिया और अफ्रीकी देशों के लिए भी यह खाद्यान उत्पादन और कौशल विकास के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाएगा.
• यह केन्द्र भारत की समृद्ध जैव विविधता का इस्तेमाल कर चावल की उन्नत किस्में विकसित करने में मददगार करेगा.
• यह देश में प्रति हेक्टेयर अधिक उपज प्राप्त करने के साथ ही उनमें पोषक तत्वों में वृद्धि में भी सहायक बनेगा.
• यह देश में उत्पादों की विभिन्न श्रृंखलाओ वाली उत्पादन प्रणाली को सहारा देगा.
• यह उपज के नुकसान को कम करने और उपज के मूल्य सर्वधन के जरिए किसानों की आय बढ़ाने में सहायक बनेगा.
• आईआरआरआई के महानिदेश की अध्यक्षता वाली समन्वय समित केन्द्र के अध्यक्ष के तौर पर काम करेगी.
• भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव इस केन्द्र के सह अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किए जाएंगे.
• पादप विज्ञान के महानिदेशक,कृषि अनुसंधान परिषद् के निदेशक,एनएसआरटीसी, आईआआरआई के भारत में प्रतिनिधि,उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधि और नेपाल,बंगलादेश तथा निजि क्षेत्र के प्रतिनिधि इसके सदस्य होंगे.
• डीएसीएंडडब्ल्यू केन्द्र में प्रयोगशाला,कार्यालय,प्रशिक्षण कक्षाओं सहित सभी आधारभूत सुविधाओं के साथ ही वाराणसी में एनएसआरटीसी में भूमि भी उपलब्ध कराएगा.
• यह केन्द्र के छह महीने के भीतर काम करना शुरु कर देगा.
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