केंद्र सरकार ने 12 मई 2021 को अत्याधुनिक रसायन सेल (एसीसी) बैटरी के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये 18,100 करोड़ रुपये के अनुमानित व्यय की उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को मंजूरी दे दी. भारी उद्योग मंत्रालय ने इस योजना का प्रस्ताव रखा था.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना “राष्ट्रीय उन्नत रसायन बैट्री भंडारण कार्यक्रम” को मंजूरी दे दी है. इस योजना के तहत पचास (50) गीगावॉट ऑवर्सऔर पांच गीगावॉट ऑवर्स की “उपयुक्त” एसीसीबैट्री की निर्माण क्षमता प्राप्त करने का लक्ष्य है.
इस पहल का उद्देश्य
विदित हो कि गीगावॉट ऑवर्स का अर्थ एक घंटे में एक अरब वॉट ऊर्जा प्रति घंटा निर्माण करना है. मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राष्ट्रीय उन्नत रसायन सेल (एसीसी) बैट्री भंडारण कार्यक्रम को मंजूरी दी गयी है. इससे 45,000 करोड़ रुपये का विदेशी और घरेलू निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है.
अत्याधुनिक उत्पाद का विनिर्माण
नीति का मकसद विनिर्माताओं को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनाना, निर्यात को बढ़ावा देना, व्यापक स्तर पर उत्पाद के जरिये पैमाने की मितव्ययिता हासिल करना तथा अत्याधुनिक उत्पाद का विनिर्माण करना है.
इलेक्ट्रिक ऊर्जा में तब्दील
आधिकारिक बयान के अनुसार एसीसी नई पीढ़ी की अत्याधुनिक भंडारण प्रौद्योगिकी है. इसके जरिये बिजली को इलेक्ट्रोकेमिकल या फिर रसायनिक ऊर्जा के रूप में भंडारित किया जा सकता है. बाद में जरूरत पड़ने पर इलेक्ट्रिक ऊर्जा में तब्दील किया जा सकता है.
रोजगार के अवसर सृजित
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह जलवायु परिवर्तन, हरित वृद्धि, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के लिये काफी फायदेमंद पहल है. यह विदेशी के साथ-साथ घरेलू निवेश लाएगा और रोजगार के अवसर सृजित करेगा.
पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी
एसीसी बैट्री भंडारण निर्माता का चयन एक पारदर्शी प्रतिस्पर्धात्मक बोली प्रक्रिया के जरिये किया जायेगा. निर्माण इकाई को दो वर्ष के भीतर काम चालू करना होगा. प्रोत्साहन राशि को पांच वर्षों के दौरान दिया जायेगा. योजना के अंतर्गत एसीसी बैट्री निर्माण से विद्युत चालित वाहन (ईवी) को प्रोत्साहन मिलेगा और पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी. इससे 2 से 2.50 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी.
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