केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने मतदान नियमों में संशोधन किया है. जिसके तहत प्रवासी भारतीयों को अप्रत्यक्ष यानि प्रॉक्सी मतदान के अधिकार को स्वीकृति प्रदान की गई है. अप्रत्यक्ष मतदान का विकल्प देने हेतु जन प्रतिनिधि अधिनियम में संशोधन आवश्यक है.
प्रवासी और विदेशों में रहने वाले भारतीय नागरिक उन निर्वाचन क्षेत्रों में वोट देने के लिए स्वतंत्र हैं, जिन निर्वाचन क्षेत्रों में उनके नाम मतदाता सूची में शामिल है. विदेशों में रहने वाले भारतीय मतदाता भी मतदान कर सकें, इसके लिए केन्द्र सरकार की ओर से प्रॉक्सी मतदान को अन्य साधनों के रूप में शामिल करने हेतु जनप्रतिनिधित्व कानून में संशोधन की जरूरत होगी.
प्रमुख तथ्य-
नियमानुसार अप्रवासी भारतीय और विदेशों में बसे भारतीय उन निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान कर सकते हैं, जहां उनका पंजीकरण हैं. ताजा प्रस्ताव के अनुसार अब ऐसे मतदाताओं हेतु प्रॉक्सी मतदान का विकल्प भी उपलब्ध होगा.
प्रॉक्सी मतदान का विकल्प अभी तक केवल सैन्य कर्मियों को ही उपलब्ध है. प्रॉक्सी मतदान विकल्प के माध्यम से वह बाहर रहकर भी अपना वोट डाल सकते हैं.
पृष्ठभूमि-
प्रॉक्सी मतदान के मुद्दे पर काम कर रही चुनाव आयोग के विशेषज्ञों की समिति ने वर्ष 2015 में विदेशों में बसे भारतीयों को प्रॉक्सी मतदान की सुविधा उपलब्ध करवाने हेतु चुनाव संबंधी कानूनों में संशोधन के लिए कानूनी रूपरेखा तैयार कर कानून मंत्रालय को भेजी थी.
चुनाव आयोग के विशेषज्ञों की समिति के अनुसार पूर्व में आंकड़े बताते हैं कि मात्र दस हजार से बारह हजार अप्रवासी भारतीयों ने ही मतदान किया क्योंकि ऐसे मतदाता, मतदान हेतु यहां आने का खर्च नहीं उठाना चाहते.
टिप्पणी -
प्रॉक्सी मतदान का अधिकार विधेयक यदि कानून बन जाता है तो एनआरआई (अप्रवासी भारतीय) को मताधिकार का प्रयोग करने के लिए भारत आने की जरूरत नहीं रह जाएगी. एनआरआई (अप्रवासी भारतीय) को अपने मताधिकार के प्रयोग हेतु अन्य साधनों की तरह प्रॉक्सी वोटिंग की सुविधा देने हेतु जनप्रतिनिधि कानून में संशोधन करना होगा.
वर्तमान व्यवस्था में एनआरआई (अप्रवासी भारतीय) और विदेशों में रहने वाले भारतीय अपने निर्वाचन क्षेत्र में ही वोट डाल सकते हैं, जहां वे पंजीकृत हैं.
नए कानून के बाद वह सैनिकों की तरह प्रॉक्सी वोटिंग का विकल्प भी चुन सकते हैं.
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