पश्चिम बंगाल का नाम परिवर्तित करने को लेकर 2 अगस्त 2016 को राज्य कैबिनेट की मंजूरी मिल गयी. राज्य सचिवालय में ममता बनर्जी मंत्रिमंडल की बैठक हुई जिसमें सर्वसम्मति से पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बांग्ला भाषा में ‘बोंगो’ अथवा ‘बांग्ला’ करने और इग्लिश में ‘बेंगाल’ करने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया गया.
शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी ने बताया कि 26 अगस्त को विधानसभा का विशेष सत्र शुरु हो रहा है. इस दौरान नाम परिवर्तन के प्रस्ताव को सर्वदलीय बैठक में पेश किया जाएगा। इस पर विधानसभा के विशेष सत्र में 27 व 28 अगस्त को चर्चा होगी और फिर नाम परिवर्तन के प्रस्ताव को आगे केंद्र के समक्ष भेजने का निर्णय लिया जाएगा.
नाम बदलने का कारण:
• नाम में 'डब्ल्यू' होने के कारण किसी भी स्टेट लेवल सम्मेलन में पश्चिम बंगाल के स्पीकर्स का नंबर आखिर में आता है, जिसके कारण उन्हें अपनी बात रखने के लिए कम समय मिलता है.
• ओड़िशा जैसे दूसरे राज्यों और मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई जैसे शहरों का उदहारण दिया गया.
गौरतलब है कि आजादी के वक्त बंगाल दो भागों में बंट गया था, पश्चिम बंगाल और पूर्वी बंगाल. विभाजन के समय पश्चिम बंगाल भारत के हिस्से में आया जबकि पूर्वी बंगाल पाकिस्तान के हिस्से में चला गया. सन 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान दो टुकड़ों में बंट गया और पूर्वी बंगाल उससे अलग होकर बांग्लादेश बन गया.
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