जानिए क्या है वेस्ट नील वायरस, इसके लक्षण और भारत में स्थिति

Mar 15, 2019, 10:55 IST

वेस्‍ट नील वायरस मच्‍छर जनित बीमारी है और यह बीमारी अधिकतर द्विपीय संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका में पाई जाती है. भारत में केरल के एक सात वर्षीय बच्चे में इसके लक्षण देखे गये हैं.

what is West Nile Virus
what is West Nile Virus

हाल ही में केरल स्थित मालापुरम में एक सात वर्षीय बच्चे में वेस्‍ट नील वायरस (West Nile Virus - WNV) के लक्षण देखे गये हैं. केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण मंत्री जे.पी. नड्डा तथा स्‍वास्‍थ्‍य सचिव प्रीति सूदन स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं.

वेस्‍ट नील वायरस मच्‍छर जनित बीमारी है और यह बीमारी अधिकतर द्विपीय संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका में पाई जाती है. भारत में इस बीमारी की रोकथाम और प्रबंधन के लिए केरल को सभी तरह का समर्थन देने का निर्देश दिया गया है.

 

वेस्ट नील वायरस (West Nile Virus)

  • वेस्ट नील वायरस एक मच्छर जनित रोग है.
  • वेस्ट नील वायरस मनुष्यों में एक घातक न्यूरोलॉजिकल बीमारी का कारण बन सकता है.
  • हालांकि, इससे संक्रमित लगभग 80% लोगों में इसके लक्षण लक्षण पता नहीं लग पाते हैं.
  • यह वायरस घोड़ों में गंभीर बीमारी और मृत्यु का कारण बन सकता है.
  • घोड़ों को रोग से बचाने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले टीके उपलब्ध हैं लेकिन अभी तक मनुष्य के लिए उपलब्ध नहीं हैं.
  • पक्षी वेस्ट नील वायरस के प्राकृतिक मेजबान हैं.

 

 

वेस्ट नील वायरस की उत्पत्ति

  • वेस्ट नील वायरस (WNV) पहली बार वर्ष 1937 में युगांडा के वेस्ट नील जिले में एक महिला में पाया गया था.
  • इसकी पहचान वर्ष 1953 में नील डेल्टा क्षेत्र में पक्षियों (कौवे और कोलम्बिफॉर्म) में हुई थी.
  • वर्ष 1997 से पहले WNV को पक्षियों के लिए रोगजनक नहीं माना जाता था, लेकिन उस समय इज़राइल में एक ही समय पर सैंकड़ों पक्षी प्रजातियों की मृत्यु हो गई थी, जो एन्सेफलाइटिस और पक्षाघात के लक्षण पेश कर रही थीं.
  • विश्व भर में WNV के कारण मानव संक्रमण को 50 से अधिक वर्ष पहले सूचित किया जा चुका है.


वेस्ट नील वायरस (WNV) के लक्षण

  • लगभग 80% संक्रमित लोगों में WNV के साथ संक्रमण या तो स्पर्शोन्मुख (कोई लक्षण नहीं) होता है, या वेस्ट नील बुखार या गंभीर वेस्ट नील रोग हो सकता है.
  • लगभग 20% लोगों में वेस्ट नील बुखार देखा जाता है.
  • इसमें सिरदर्द, तेज बुखार, थकान, शरीर में दर्द, मतली, उल्टी, कभी-कभी त्वचा पर चकत्ते और लसीका ग्रंथियों (Lymph Glands) में सूजन.
  • नील वायरस की गंभीर अवस्था में सिरदर्द, तेज़ बुखार, गर्दन में अकड़न, स्तब्धता, मस्तिष्क भटकाव, कोमा, दौरे पड़ना, मांसपेशियों में कमजोरी, और पक्षाघात जैसे लक्षण देखेने को मिलते हैं.
  • यह अनुमान लगाया जाता है कि वेस्ट नील वायरस से संक्रमित लगभग 150 में से 1 व्यक्ति ही बीमारी के अत्यधिक गंभीर रूप में प्रवेश करेगा.
  • यह वायरस किसी भी उम्र के व्यक्ति को चपेट में ले सकता है. हालांकि, 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोग और कुछ प्रत्यारोपण के रोगियों का डब्ल्यूएनवी से संक्रमित होने पर गंभीर रूप से बीमार होने का सबसे अधिक खतरा होता है.

 

भारत सरकार द्वारा उठाये गये कदम

स्‍वास्‍थ्‍य और परिवार कल्‍याण सचिव ने केरल के अपर मुख्‍य सचिव श्री राजीव सदानंदन के साथ स्थिति‍ की समीक्षा की है. स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय बीमारी नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) से  एक बहुविषयी केंद्रीय दल रवाना किया है. इस दल में आर.एच.ओ.त्रिवेन्‍द्रम, डॉ. रुचि जैन, एनसीडीसी के सहायक निदेशक डॉ. सुनित कौर,एनसीडीसी कालीकट के एन्टोमोलॉजिस्‍ट डॉ. ई.राजेन्‍द्रन तथा एनसीडीसी के ईआईएस अधिकारी डॉ. विनय बसु शामिल हैं. केंद्रीय दल बीमारी प्रबंधन में राज्‍य स्‍वास्‍थ्‍य अधिकारियों को समर्थन देगा.

भारतीय चिकित्‍सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) को भी सतर्क किया गया है और केंद्र तथा राज्‍य स्‍तर पर निगरानी रखी जा रही है. देश के अन्‍य भागों में फिलहाल इस वायरस के फैलने के की कोई रिपोर्ट नहीं आई है.

 

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Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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