संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) उत्सर्जन गैप रिपोर्ट 2021 का संस्करण ‘द हीट इज ऑन’ शीर्षक 26 अक्टूबर 2021 को जारी किया गया. संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) की एक रिपोर्ट दर्शाती है कि जलवायु कार्रवाई के लिये नए और संशोधित संकल्प, पैरिस जलवायु समझौते में तय लक्ष्यों को हासिल करने हेतु पर्याप्त नहीं हैं.
स्कॉटलैण्ड के ग्लासगो में यूएन के वार्षिक जलवायु सम्मेलन से कुछ ही दिन पहले जारी रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया इस सदी में, वैश्विक तापमान में कम से कम 2.7 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि की तरफ बढ़ रही है. रिपोर्ट के मुताबिक़, देशों की संशोधित राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं से, पिछले संकल्पों की तुलना में वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों में केवल 7.5 प्रतिशत की ही अतिरिक्त गिरावट होगी.
The Emissions Gap Report 2021 shows that with the present commitments to cut greenhouse gas emissions will still put the planet on track for an average 2.7 degrees Celsius temperature: UN Secretary General Antonio Guterres pic.twitter.com/Qu6csLPk8M
— ANI (@ANI) October 26, 2021
मुख्य बातें: एक नजर में
• रिपोर्ट में कहा गया कि दर्जनों देशों ने वर्ष 2050 तक ''शून्य'' कार्बन उत्सर्जन के लक्ष्य को प्राप्त करने की घोषणा की है और यदि इसे गंभीरता से लागू किया जाता है तो कुछ सुधार की उम्मीद है.
• संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी दशक में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विभिन्न देशों की नवीनतम योजना भी वैश्विक तापमान में खतरनाक बढ़ोतरी (ग्लोबल वार्मिग) से बचने के लिए जरूरी उपायों से काफी कम है.
• रिपोर्ट के मुताबिक, ये नए संकल्प भी वैश्विक तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिकीकरण काल से 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोकने के लिए जरूरी अतिरिक्त उत्सर्जन कटौती का केवल 14 प्रतिशत ही है.
• माना जाता है कि प्रत्येक देश अपने संकल्पों का अनुपालन करता है, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार कई देशों की सरकारों ने अभी तक अपने अल्पकालिक लक्ष्यों को हासिल करने के लिए नीतियों या कानूनों को ही नहीं बनाया है.
• रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगर विभिन्न देशों ने अपने नए जलवायु लक्ष्यों को हासिल भी कर लिया तो भी दुनिया का तापमान वर्ष 2100 तक करीब 2.7 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाएगा. तापमान में इस वृद्धि से पूरी दुनिया में लू, सूखा और बाढ़ जैसे खतरों में तेजी से वृद्धि हो जाएगी.
• संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने कहा है कि समुचित नेतृत्व के अभाव के चलते ग्लोबल वार्मिंग को काबू करने के वैश्विक प्रयास प्रभावित हो रहे हैं.
• रिपोर्ट बताती है कि नैट-शून्य संकल्पों को यदि पूर्ण रूप से लागू किया जाता है, तो इससे बड़ा बदलाव आने की सम्भावना है और वैश्विक तापमान में वृद्धि को 2.2 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने में मदद मिलेगी.
• यूएन रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि नैट-शून्य संकल्प और वादे ‘अस्पष्ट’ हैं और साल 2030 के अधिकाँश राष्ट्रीय संकल्पों से मेल नहीं खाते हैं. कुल मिलाकर, 49 देशों और योरोपीय संघ ने अब तक नैट-शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्ति का संकल्प लिया है.
• रिपोर्ट में स्पष्टता से कहा गया है कि 1.5 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि के लक्ष्य तक पहुँचने के लिये, दुनिया को अगले आठ वर्षों में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों को लगभग आधा करना होगा. इसके तहत, नई एनडीसी योजनाओं और अन्य 2030 संकल्पों के अलावा, वार्षिक उत्सर्जनों से अतिरिक्त 28 गीगाटन समतुल्य कार्बन डाइऑक्साइड को भी हटाया जाना होगा.
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