अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार विश्व में अगले 10 वर्षों में 60 करोड़ नौकरियों की आवश्यकता है. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन ने वैश्विक रोजगार रूख 2012 रिपोर्ट में यह आंकड़ा दिया. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO: International Labour Organization) की रिपोर्ट के अनुसार विभिन्न देशों की सरकारों के प्रयास के बावजूद विश्व में रोजगार का संकट कायम है.
वैश्विक रोजगार रूख 2012 रिपोर्ट (Global Employment Trends 2012 report) में विश्व भर में प्रत्येक तीन में से एक श्रमिक बेरोजगार बताया गया. रिपोर्ट के अनुसार अनुमानतः 1.1 अरब लोग या तो बेरोजगार हैं या फिर गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं. साथ ही रिपोर्ट में वर्ष 2011 में 15 से 24 वर्ष के 7.48 करोड़ युवा बेरोजगार के आंकड़े दिए गए. युवा बेरोजगार की संख्या के मामले में वर्ष 2007 के बाद से इस आंकड़े में 40 लाख से अधिक की वृद्धि हुई है.
वैश्विक रोजगार रूख 2012 रिपोर्ट में भारत को धीमी होती वैश्विक अर्थव्यवस्था के संकट का मुकाबला करने में अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में बताया गया. हालांकि भारत को सुझाव के तौर पर यहां की कार्यशील आबादी की आमदनी में वृद्धि की बात कही गई. रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशिया के कामगारों में भारत का हिस्सा 74 प्रतिशत है. वर्ष 2004-05 में भारत में कामगारों की संख्या 45.79 करोड़ थी. वर्ष 2009-10 में यह 45.84 करोड़ हो गया. यानी पांच वर्षों में भारत में कुल रोजगार में मात्र 0.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जोकि रिपोर्ट के अनुसार चिंताजनक है.
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुसार विभिन्न देशों की सरकारों को आपसी सहयोग से निर्णयक तरीके से काम करते हुए निजी निवेश के रास्ते में आ रहे भय और अनिश्चितता को दूर करने को प्राथमिकता देनी चाहिए. अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक जुआन सोमाविया ने यह रिपोर्ट 24 जनवरी 2012 को जेनेवा में जारी की.
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