सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सथाशिवम व न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में पुलिस थाना व न्यायालय सीमा विवाद समाप्त करते हुए यह बताया कि अगर कोई अपराध एक स्थान से शुरू होकर लगातार दूसरे स्थान तक जारी रहता है तो उसका मुकदमा घटना से जुड़े किसी भी स्थान पर चलाया जा सकता है.
सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) के न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी सथाशिवम व न्यायमूर्ति बीएस चौहान की पीठ ने 11 अप्रैल 2011 को सुनीता कुमारी कश्यप बनाम बिहार सरकार की दायर याचिका पर निर्णय दिया और पटना उच्च न्यायालय के निर्णय को निरस्त कर दिया. ज्ञातव्य हो कि पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) ने दहेज प्रताड़ना की शिकार सुनीता कुमारी कश्यप द्वारा उसके पति के खिलाफ दहेज का मुकदमा क्षेत्राधिकार के आधार पर निरस्त कर दिया था.
सुनीता कुमारी कश्यप बिहार के गया जिले की निवासी थी, जिसकी शादी वर्ष 2000 में रांची निवासी संजय कुमार सैनी के साथ हुई थी. सुनीता कुमारी कश्यप ने अपने पति के खिलाफ दहेज का मुकदमा गया में दायर किया था. सुनीता के पति ने गया अदालत की कार्यवाही को क्षेत्राधिकार के आधार पर चुनौती दी थी. उसका तर्क था कि मुकदमा तो रांची में चल सकता है क्योंकि घटना वहां की है. पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) ने उसकी दलील स्वीकार करते हुए गया की अदालत में चल रहा मुकदमा निरस्त कर दिया था.
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